MP NEWS – प्राध्यापकों के स्थानांतरण से अतिथि विद्वानों पर संकट, तनाव में विद्वान


मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में वर्षों से सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों के भविष्य पर अब संकट मंडराने लगा है। अंदरूनी और बाहरी खेल शुरू होने के आसार हैं। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने प्राध्यापकों की स्थानांतरण सूची जारी की है, जिसके कारण अतिथि विद्वानों को अपनी आजीविका छिनने का डर सता रहा है। जैसे ही प्राध्यापक अपनी नई पदस्थापना वाली जगहों पर कार्यभार ग्रहण करेंगे, अतिथि विद्वानों को तत्काल बाहर किया जा सकता है।

शिवराज सिंह ने कहा था अतिथि विद्वान अब फालेन आउट नहीं होंगे

ज्ञात हो कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री व पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने महापंचायत में घोषणा की थी कि अतिथि विद्वान अब ‘फालेन आउट’ नहीं होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा था कि अतिथि विद्वान अपने पद पर बने रहेंगे और ‘फालेन आउट’ शब्द को समाप्त किया जाएगा। लेकिन आज भी यह घोषणा पूरी तरह से अमल में नहीं लाई गई है। 

विद्वानों के भविष्य की सुरक्षा को लेकर शासन-प्रशासन कभी गंभीर नहीं रहा – महासंघ

अतिथि विद्वान महासंघ ने विद्वानों के भविष्य की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की है। महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में पठन-पाठन से लेकर नैक, रूसा, प्रवेश, परीक्षा, प्रबंधन, मूल्यांकन आदि सभी कार्य अतिथि विद्वान ही संभालते हैं। यह बात पूरे प्रदेश में सभी को पता है और सरकार भी इसे जानती है, लेकिन इसके बावजूद अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। डॉ. पाण्डेय ने अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार अतिथि विद्वानों के भविष्य की सुरक्षा पर ध्यान दे। इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। 

और आ सकती है स्थानांतरण सूची, मचेगी हलचल, विद्वान होंगे प्रभावित

आने वाले समय में प्राध्यापकों की और स्थानांतरण सूचियाँ जारी हो सकती हैं, जिसका सीधा असर अतिथि विद्वानों पर पड़ेगा। अभी हाल ही में 600 स्थानांतरण पीएम श्री कॉलेज और उत्कृष्टता कॉलेजों में किए गए थे, और इस मामले की सूची अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है। महासंघ के उपाध्यक्ष डॉ. अविनाश मिश्रा ने बताया कि अतिथि विद्वानों के परिवार और छोटे बच्चों के दाखिले हो चुके हैं। जो भी न्यूनतम आय उन्हें प्राप्त हो रही है, उससे भी सरकार उन्हें वंचित करने का प्रयास कर रही है। डॉ. मिश्रा ने निश्चित मासिक वेतन और स्थायी समायोजन की मांग रखी।

डॉ देवराज सिंह,प्रदेश अध्यक्ष महासंघ

“शासन-प्रशासन को नैतिकता दिखाते हुए रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों को अपनी घोषणा के अनुसार स्थायी रूप से समायोजित करना चाहिए। साथ ही, निश्चित मासिक वेतन प्रदान किया जाए, ताकि सभी समस्याओं का समाधान हो सके।”

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