हनुमान जन्मोत्सव 2025ः यहां स्थित है चमत्कारी स्वयंभू मारुति नंदन की प्रतिमा, एक चरण ऊपर दिखाई देता, तो दूसरा पाताल लोक में समाया, जानें मान्यता


मुकेश सेन, टीकमगढ़। देश भर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2025) के पर्व पर धूम देखने को मिल रही है। इसी बीच आज हम आपको मारुति नंदन (Maruti Nandan) के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जान आप हैरान हो जाएं। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले से मात्र 30 किलोमीटर दूर स्थित बड़ागांव नामक स्थान की। जहां एक अद्भुत और चमत्कारी हनुमान जी की प्रतिमा है। जो लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है। यह प्रतिमा किसी मंदिर में नहीं, बल्कि एक विशाल पीपल वृक्ष के नीचे स्वयं प्रकट रूप में स्थित है।

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एक चरण ऊपर तो दूसरा चरण पृथ्वी में समाया

इस अलौकिक प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसके एक चरण ऊपर दिखाई देता है, जबकि दूसरा चरण पृथ्वी में समाया हुआ है। कहा जाता है कि यह दूसरा चरण पाताल लोक तक पहुंचा हुआ है। स्थानीय जनमान्यताओं के अनुसार, आज तक कोई यह जान नहीं पाया है कि यह चरण पृथ्वी में कितनी गहराई तक स्थित है। लेकिन कुछ मनचलों युवाओं ने इस रहस्य को जानने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने प्रतिमा के चरण के पास खुदाई भी कर डाली। लगभग 40 से 45 फीट तक खुदाई करने के बावजूद वे चरण का अंत नहीं ढूंढ पाए, जिससे यह विश्वास और भी दृढ़ हो गया कि यह कोई साधारण प्रतिमा नहीं, बल्कि साक्षात चमत्कार है।

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दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्त

हनुमान जयंती के पावन अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के पंडित उमेश मिश्रा ने बताया है कि, दिल्ली, मुंबई, भोपाल, गुजरात समेत देश के कोने कोने से लोग यहां आते हैं। उनकी यहां मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। फिर वो कैंसर का मरीज हो या अन्य बीमारी हो सैकड़ों लोगों को आराम मिला है। जो भी सच्चे मन से आता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

उन्होंने बताया कि, बड़ागांव निवासी बद्री असाटी की पत्नी को कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा। सालों तक जब बाहर के सभी बड़े बड़े अस्पतालों में भी आराम नहीं मिला तब एक रास्ता था संकट मोचन हनुमान जी के दरवार में सुबह शाम दीपक जलाना। समय निकलता गया और मात्र दो माह के अदंर बीमारी का पता ही नहीं चला। और वो पूरी तरह ठीक हो गईं।

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