MP का चमत्कारिक हनुमान मंदिर: यहां विराजित प्रतिमा की नाभि से निकलता है जल, ग्रहण मात्र से रोगों व भूत-बाधाओं से मिलती है मुक्ति


शरद पाठक, छिंदवाड़ा। कलयुग में जो सबसे ज्यादा पूजा जायेगा वह हैं राम के भक्त हनुमान ये मान्यता हिंदू धर्म के ग्रंथो और पुराणों में है। आज राम भक्त हनुमान के मंदिर और उनको पूजने वाले भक्त विश्व में सर्वाधिक है। हिंदू मान्यता के अनुसार हनुमान कलयुग में जीवित स्वरूप में मौजूद है। आज हनुमान जयंती पर हम आपको ऐसे चमत्कारिक हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां विराजित बजरंगबली की मूर्ति विश्राम अवस्था में मौजूद है। 

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लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा-नागपुर हाइवे के सौसर तहसील में स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर भूत पिशाच की बाधाएं दूर होती है। हनुमान जयंती के अवसर पर इस वर्ष भी पूरे 7 दिन तक यहां विशेष आयोजन किया जा रहा है, जहां दूर दूर से हनुमान भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचे रहे हैं।  

हनुमान जी की नाभि से जलधारा बहती है

जाम सांवली मंदिर की सबसे खास बात यह है कि हनुमान जी यहां विश्राम अवस्था में विराजित हैं। मंदिर में हनुमान जी निद्रा अवस्था में विराजमान हैं। मूर्ति कहां से आई और इसकी स्थापना किसने की है इसका कोई प्रमाण मिलता। मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। हनुमान जी की नाभि से जलधारा बहती रहती है।

हनुमान जी ने यहां किया था विश्राम

मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा एक विशाल पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में है। माना जाता है कि जब रावण के पुत्र इंद्रजीत से युद्ध में लक्ष्मण घायल हो गए थे। तब हनुमान जी को संजीवनी बूटी लेने गए थे और वापस आते समय हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था।

भूत–प्रेत से मिलती है मुक्ति

हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से एक जलधारा से मंदिर में आने वाले श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोगों का मानना है कि नाभि से निकलने वाले जल को पीने के बाद भूत प्रेत बाधा मानसिक विकार जैसी समस्या से मुक्ति मिलती है। इस जल में त्वचा और मानसिक रोगों को ठीक करने की चमत्कारी शक्ति है। मंदिर में बीमार लोग तब तक रहते हैं जब तक वो ठीक नहीं होते।

कोई नहीं लौटता खाली हाथ 

जाम सांवली वह स्थान है जहां कइयों की नैया पार लगी है। हनुमान जी के समीप प्रांगण में मानसिक रोगी समेत कइयों की हाजरी लगती है, और सभी की मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि यह वह स्थान है जहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है।

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