मुआवजा पाने का गजब खेल: सरकारी खजाना लूटने बसा दिया 4 हजार से ज्यादा घरों का गांव, अब प्रशासन ने किया अवैध घोषित, तोड़े जाएंगे मकान   


पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली  जिले में पहली बार मुआवजा माफियाओं पर कलेक्टर ने नकेल कसी है। जिले में नए कोल ब्लॉक आवंटन के बाद मुआवजा पाने के लिए बनाए गए 3 हजार से ज्यादा घरों को अवैध घोषित कर दिया गया है और महज 816 मकान को ही वैध माना है। जिसमें अब 3 अरब 55 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा बांटा जाना है। वही 4 हजार से अधिक लोगों ने इस पर आपत्तियां भी लगाई थी। लेकिन संपूर्ण जांच के बाद सभी आपत्तियों को कलेक्टर ने खारिज कर दिया है। भारत के कई राज्यों सहित विदेशों के लोगों ने भी मुआवजा पाने यहां जमीन लेकर घर बना लिया। जिनके मंसूबों पर अब पानी फिरता दिख रहा है।

सिंगरौली जिले में प्रचुर मात्रा में है खनिज संपदा

सिंगरौली जिले में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा होने के कारण कई सारे कोल माइंस कंपनियां जिले में अपना पांव जमा रही है। इन कंपनियों के आने से मुआवजा माफियाओं की होड़ सी लगी हुई है। लोगों को जहां पता चलता है कि कंपनी जिले के इस गांव या कस्बे में स्थापित हो रही, लोग मुआवजा की लालच में अउने पौने दाम में जमीन खरीद कर तत्काल मकान बनाना शुरू कर देते हैं। और चंद दिनों में ही भारी भरकम मकान बन कर तैयार हो जा रहे।

 नेशनल हाईवे निर्माण के दौरान भी हुआ था यही खेल 

बता दे कि इसके पहले भी चितरंगी से प्रयागराज को जोड़ने के लिए बनाई जाने वाली नेशनल हाईवे सड़क में भी मुआवजा माफियाओं ने व्यापक पैमाने पर इसी तरह का खेल किया था। जहां चंद दिनों में ही काफी संख्या में जहां से सड़क निकलनी थी उसके दोनों साइड में हजारों की संख्या में मकान बन कर तैयार हो गए थे। जिसके बाद सरकार को नेशनल हाईवे का एलाइनमेंट तक चेंज करना पड़ा था। इसी तरह जिले में संचालित अन्य कंपनियों के स्थापना के समय भी इस तरह का खेल हो चुका है। स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्रवाई न होने से लोगों के हौसले बुलंद थे।

सरकारी मुआवजा पाने बना डाले मकान  

ऐसे ही अब जिले के बंधा कोल ब्लॉक अंतर्गत तेंदुहा, पिड़रवाह,  देवरी, पचोर और बांध गांव की जमीनों का भू अधिग्रहण किया जाना था। इस भू अधिग्रहण में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। ऐसे में सरकारी मुआवजा पाने लोग एक दो डिसमिल जमीन खरीद कर घर बनाने में जुट गए हैं। कलेक्टर के यहां पर नामांतरण, बंटवारे, जमीन की खरीदी बिक्री और मकान के निर्माण पर रोक लगा दी गई है । इसके अलावा ड्रोन कैमरे से पूर्व में बने मकानों का सर्वे करा कर पहले ही चिन्हित कर लिया गया था। जिसके बाद बने मकानों को कलेक्टर ने अवैध घोषित कर दिया गया है।

कलेक्टर ने की कार्रवाई 

मामले पर सिंगरौली कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ल ने बताया कि यहां खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में होने पर लोगों में मुआवजा पाने की लालसा बढ़ गई है। पूर्व में भी इसी तरह के हालात निर्मित हुए थे। समय में कार्रवाई  न होने से लोगों के मनोबल बढ़े हुए है।  मध्य प्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, बंगाल, राजस्थान, दिल्ली सहित अन्य राज्यों के लोग भी यहां पर आकर मुआवजा के लालच में जमीन खरीद मकान का निर्माण करवा रहे हैं । इतना ही नहीं दो ऐसे लोग है जो विदेश में रहते है और यहां जमीन लेकर मुआवजा पाने के लालच में जमीन खरीद मकान बना लिए थे। लिहाजा इस पर रोक लगाई जाने के उद्देश्य से इस तरह की कार्रवाई किया जाना जरूरी था।

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