40 साल पुराने किराएदार पर HIGH COURT ने 15 लाख रुपए जुर्माना लगाकर बेदखल कर दिया


एक सामान्य धारणा है कि यदि कोई किराएदार किसी संपत्ति पर 12 वर्ष से अधिक समय से रह रहा है तो किराएदार का उस संपत्ति पर स्वामित्व हो जाता है, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 40 साल पुराने किराएदार को न केवल बेदखल किया है बल्कि उसके ऊपर 15 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह महत्वपूर्ण जजमेंट दिया। 

विवाद 1982 में शुरू हुआ

प्रतिवादी के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा की दलीलें थीं कि विवाद 1982 में शुरू हुआ था। मकान मालकिन ने फैजाबाद रोड पर स्थित संपत्ति खाली करने को कहा था, किराएदार ने इससे इनकार कर दिया था। मकान मालकिन इस प्रॉपर्टी पर अपने बेटे का व्यवसाय शुरू करवाना चाहती थी परंतु विवाद के कारण ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद मकान मालकिन ने संबंधित प्राधिकरण के समक्ष रिलीज प्रार्थना पत्र दिया, जो 1992 में खारिज कर दिया। 

वोहरा ब्रदर्स तब संपत्ति का मासिक किराया 187 रुपये 50 पैसे दे रहा था। मकान मालकिन की याचिका पर 1995 में फैसला उनके हक में आया था। इसके बाद किराएदार ने फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका तभी से न्यायालय में विचाराधीन थी। ऐसे में कुल 40 साल तक मामला उलझा रहा।

जजमेंट में कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि किराएदार ने 1979 से कोई रेंट नहीं दिया। 1981 में जब प्रॉपर्टी की मालकिन ने अपने बेटे को व्यवसाय शुरू करवाने के लिए जब उसे घर खाली करने को कहा तो उनको संपत्ति के मामलों में उलझा दिया गया। 40 साल तक पूरी एक पीढ़ी को उसके अधिकारों से वंचित किया गया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने किराएदार की याचिका को खारिज करते हुए किराएदार पर 15 लाख रुपये जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने लखनऊ के डीएम को निर्देश दिए हैं कि जुर्माना राशि को 2 महीने के भीतर वसूल किया जाए। अगर रकम नहीं जमा की जाए तो कार्रवाई करें। 

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