मजिस्ट्रेट परिवाद शिकायत पर कब साक्ष्य लेगा, जानिए


जब कोई व्यक्ति, पुलिस अधिकारी से भिन्न किसी परिवाद को सीधे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करता है, तब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या तो मामले का स्वयं संज्ञान लेगा या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 210 के अनुसार किसी अन्य मजिस्ट्रेट को संज्ञान के लिए भेज देगा। इसके बाद अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभियोजन पर किस प्रकार कार्यवाही करेगा, जानिए। 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 267 की परिभाषा:-

• जब मजिस्ट्रेट के समक्ष पुलिस रिपोर्ट से भिन्न कोई अन्य परिवाद दायर किया जाता है, तब मजिस्ट्रेट परिवादी के समर्थन में पेश किए गए सभी साक्षियों को सुनेगा।  

• मजिस्ट्रेट उपर्युक्त धारा के अनुसार परिवादी (अभियोजन) पक्ष के साक्षियों को हाजिर करने या दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने के लिए समन भी जारी कर सकता है।  

धारा 266 यह स्पष्ट करती है कि किसी भी परिवाद पर संज्ञान लेने के बाद मजिस्ट्रेट सुनवाई की शुरुआत अभियोजन पक्ष, अर्थात् परिवादी पक्ष, के साक्ष्यों एवं गवाहों से करेगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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