रामनवमी पर शिवराज सिंह ने कराया कन्या भोज: बच्चियों को अपने हाथों से खिलाया भोजन, कहा- बेटी के बिना सृष्टि नहीं चल सकती


शिखिल ब्यौहार, भोपाल. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने रामनमवी के अवसर पर घर पर कन्या पूजन किया. इसके बाद उन्होंने सभी बच्चियों को अपने हाथों से भोजन खिलाया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बेटी के बिना सृष्टि चल नहीं सकती.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज रामनवमी भी है और नवरात्रि का नवां दिन भी है. नवरात्रि का नवां दिन होता है मैया सिद्धिदात्री का. मां सभी पर कृपा और आशीर्वाद की वर्षा करें. सब सुखी हो, सब निरोग हो, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत के निर्माण में हम सब अपना सहयोग दें. नवमी के दिन हमारी बरसो पुरानी परंपरा है, कन्याओं का पूजन करना. बेटियां देवियां है और बेटी है तो कल है.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में बेटियों को देवी का स्वरूप ही माना गया है. जहां मां-बहन और बेटी का मान-सम्मान होता है, वहीं देवता निवास करते हैं और जहां देवता निवास करते हैं वहीं सुख-समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि आती है. बरसों से नवरात्र के नौवें दिन कन्या भोज मैं और मेरी पत्नी साधना सिंह कराती रहीं हैं, लेकिन आज मेरे मन में बहुत संतोष है कि कार्तीकेय, कुणाल, अमानत और रिद्धि ने दोनों बेटों और बहुओं ने परिवार की इस पंरपरा को आगे बढ़ाया और कन्या भोज कराया है. हमारी संस्कृति अद्भुत है, इसको बढ़ाना, इसका पालन करना यह हम सभी का परम कर्तव्य है. आज मैं आनंद से भरा हूं कि बच्चे भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.

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शिवराज सिंह ने कहा कि राम हमारे अस्तित्व हैं, राम हमारे आराध्य हैं, राम हमारे प्राण हैं, राम हमारे भगवान हैं, राम हमारे रोम-रोम में रमे हैं, राम हमारे हर सांस में बसे हैं. भगवान राम के चरणों में प्रणाम. पीएम मोदी के नेतृत्व में रामराज लाने के लिए हम सब प्रयत्न कर रहे हैं और रामराज का मतलब ये है “दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि ब्यापा” जनता सुखी रहे.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दैहिक मतलब शारीरक कष्ट न हो, दैविक मतलब प्राकृतिक कष्ट न हो, और कोई भौतिक कष्ट मतलब कोई अभाव से न जूझे सब समृद्ध रहें ये रामराज की कल्पना साकार करने का हम प्रयत्न कर रहे हैं. श्रीराम हम सबको शक्ति दें. ताकि हम इस काम को पूरा कर सकें. एक बात और भगवान राम ने कही है, “परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई” हम केवल अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी कुछ न कुछ करें. वही सबसे बड़ा धर्म है. लोगों की सेवा है ये सबसे बड़ा धर्म है.

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