BNS- 226, कानूनी कार्यवाही को रोकने के लिए आत्महत्या का प्रयास करना अपराध होगा, जानिए
भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार दिया हुआ है एवं संविधान के अनुच्छेद 21 में नागरिकों को जीवन जीने का अधिकार भी दिया गया है। भारत के नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 में आत्महत्या के प्रयास को अपराध नहीं माना गया है, जो पूर्व में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 309 के अंतर्गत था। अर्थात् साधारण शब्दों में कहें तो अब व्यक्ति को मरने का अधिकार भी होगा। लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को किसी कानूनी कार्यवाही करने से रोकने के लिए उसके सामने आत्महत्या करने का प्रयास करता है, तब उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही होगी, जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 226 की परिभाषा
कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को विधिपूर्वक कार्य करने या कोई कर्तव्य करने से रोकने के लिए अथवा कार्य से हटने के लिए आत्महत्या का प्रयास करता है, तब वह व्यक्ति BNS की धारा 226 के अंतर्गत दोषी होगा। जैसे कि अतिक्रमण हटाने वाला अधिकारी किसी मकान को तोड़ने के लिए आता है और कोई व्यक्ति उसे रोकने के लिए उसके सामने आत्महत्या का प्रयास करने लगता है, तब ऐसा करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 226 of punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं, अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी, लेकिन पुलिस थाने से एनसीआर लिखी जा सकती है। साथ ही इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज होगा। परिवाद किसी लोक सेवक के द्वारा दर्ज किया जाएगा। इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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