किसी व्यक्ति को सरकारी अधिकारी के पास आवेदन देने से रोकना भी अपराध होता है, जानिए
भारत के किसी भी नागरिक पर यदि कोई अत्याचार हो रहा है, तो वह अपनी सुरक्षा के लिए प्रशासन के समक्ष या न्यायालय में आवेदन कर सकता है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भारत के प्रत्येक नागरिक को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी नागरिक को किसी अधिकारी के समक्ष शिकायत का आवेदन करने या सुरक्षा के लिए आवेदन करने से रोकता है या धमकी देता है, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की जा सकती है। जानिए इसके बारे में।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 225 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को लोक सेवक के समक्ष सुरक्षा, संरक्षण या सहायता लेने से रोकता है, या आवेदन करने से रोकता है, या ऐसा करने के लिए धमकी देता है कि वह लोक सेवक के समक्ष आवेदन नहीं करेगा, तो ऐसा व्यक्ति BNS की धारा 225 के अंतर्गत दोषी होगा।
उदाहरण के लिए: यदि कोई दबंग व्यक्ति किसी गरीब की जमीन पर कब्जा कर लेता है और उस गरीब व्यक्ति को धमकी देता है कि “अगर तुम सहायता के लिए किसी सरकारी अधिकारी के पास गए, तो मैं तुम्हें नुकसान पहुँचाऊँगा,” तो वह दबंग व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय न्याय संहिता, धारा 225: सजा का प्रावधान
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होता है, अर्थात् पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी, लेकिन पुलिस थाने में एनसीआर (गैर-संज्ञेय रिपोर्ट) दर्ज की जा सकती है। साथ ही, इस अपराध के लिए कोई भी व्यक्ति न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज कर सकता है। इस अपराध की सुनवाई भी किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
सजा: इस अपराध के लिए एक वर्ष तक का कारावास, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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