धधकती ज्वाला और उठती लपटें: पहाड़ी जंगलों में लगी भीषण आग, कई पेड़ जलकर खाक, हाथ पर हाथ रखकर बैठा वन विभाग

अजयारविंद नामदेव, शहडोल। गर्मी का मौसम आते ही आग लगने की घटनाएं भी लगातार बढ़ते जा रही है। ताजा मामला अब शहडोल से सामने आया है। पपौंध क्षेत्र के पहाड़ी जंगल में भीषण आग लग गई। इसके बाद जैतपुर वन परिक्षेत्र के रूंगटा डोंगरिया में भी आग की लपटें उठने लगी। पहाड़ी जंगलों में लगी आग से कई पेड़ जलकर खाक हो गए।
क्या है मामला
लगातार जंगलों में लग रही आग से वन्य प्राणियों के जान का खतरा बढ़ रहा है। जिससे वे जान बचाकर रिहायशी इलाकों की ओर भाग रहे हैं। आग तेजी से फैल रही है और रिहायशी इलाके की ओर बढ़ रही है, जिससे आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को खतरा बढ़ गया है। दरअसल, जिले के अंतिम छोर पर स्थित पहाड़ी जंगल में अचानक आग भड़क गई है। धीरे-धीरे आग की लपटों ने क्षेत्र में लगे पेड़ों को अपनी चपेट में ले लिया। जिससे कई पेड़ जलकर खाक हो रहे है। इसी तरह जैतपुर वन परिक्षेत्र के रूंगटा डोंगरिया में भी आग लग गई। जिससे वहां लगे कई पेड़ जलकर खाक हो गए। जिस गति से आग की लपटें बढ़ रही, तो वो दिन दूर नहीं जब ये आग रिहायशी इलाकों को भी अपने आगोश में ले लेगा। पहाड़ी जंगल में अग लगने से आसपास के क्षेत्र में विचरण कर रहे वन्य प्राणी इस आग से अपनी जान बचाकर रिहायशी इलाकों की ओर भाग रहे हैं।
हैरत की बात तो यह है कि जंगल में भीषण आग लगी है और वन विभाग इससे अंजान बना हुआ है। जिससे हर पल आग बढ़ती चली जा रही है। सुलगते जंगल जहां इंसान की चिंता बढ़ा रहे हैं वहीं जंगल के प्राणियों की असमय मौत, पलायन और कई वन्य प्रजातियों के खत्म होने का खतरा भी पैदा कर रहे हैं। इसके साथ ही एक बड़े क्षेत्र में फैली आग से करोड़ों की वन संपदा का नुकसान भी पहुंचा सकता है। जिसकी भरपाई शायद कभी नहीं की जा सकती है।
जंगलों के सुलगने के पीछे क्या सिर्फ गर्मियां और तेज गर्म हवाएं ही एक बड़ी वजह हैं। शायद ऐसा कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि पिछले दिनों में जंगल में आग लगने की जो घटनाएं हुई हैं। उनमें इंसानी गतिविधियां ज्यादा जिम्मेदार कही जा सकती हैं। चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में जंगलों में आग लगने की वजह प्राकृतिक नहीं, बल्कि इंसानी गतिविधियां भी हो सकती हैं।
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