57 ई.पू. में आरम्भ हुआ हिंदू नववर्ष विक्रम संवत्: सीएम डॉ. मोहन ने प्रदेशवासियों को दी नववर्ष, उगादि पर्व और गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं


राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को नववर्ष विक्रम संवत् 2082 और गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं दी हैं। 30 मार्च 2025 (दिन रविवार) से हिन्दू नववर्ष यानि नव संवत्सर 2082 शुरू हो रहा है। गुड़ी पड़वा के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा भी कहा जाता है। इस दिन हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत् का आरम्भ होता है। विक्रम संवत् का आरम्भ 57 ई.पू. में हुआ था। इसी प्रतिपदा के दिन आज से 2081 वर्ष पूर्व उज्जयनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की।

शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से

डॉ मोहन यादव ने कहा- उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा। विक्रम संवत् हमारा राष्ट्रीय संवत् कहलाता है। यह सर्वथा शुद्ध और वैज्ञानिक है। यह हमारी अस्मिता और स्वाधीनता के अनुरक्षण तथा शत्रुओं पर विजय का प्रतीक भी है। इसी संवत् के अनुसार ही हमारे सभी धार्मिक अनुष्ठान, तीज त्यौहार जैसे – होली, दीवाली, दशहरा आदि मनाए जाते है। मराठी राजा शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है।

इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया

‘ युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व ‘ गुढी पाडवा ‘ अर्थात् मराठी नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने वानरराज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज (ग़ुड़ियां) फहराए।

आंध्र प्रदेश में घरों में ‘पच्चड़ी/प्रसादम‘ तीर्थ के रूप में बांटा जाता

आज भी घर के आंगन में ग़ुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को गुढीपाडवा नाम दिया गया। इसलिये इसे मराठी नया साल भी कहते हैं। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश में घरों में ‘पच्चड़ी/प्रसादम‘ तीर्थ के रूप में बांटा जाता है। कहा जाता है कि इसका निराहार सेवन करने से मानव निरोगी बना रहता है। महाराष्ट्र में पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें जो चीजें मिलाई जाती हैं वे हैं–गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम।

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