सब्जी उत्पादक किसान फिर परेशानः टमाटर के बंपर पैदावार ने किसानों की कमर तोड़ी, मुफ्त में बांट रहे


अमित पवार, बेतुल। गर्मी का मौसम (Summer Season) आते ही सब्जियों के दाम (Prices of Vegetables) आसमान को छूने लगते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बेतुल (Betul) में नजारा कुछ और ही देखने को मिल रहा है। यहां हालात ये हैं कि, किसानों को मुफ्त में टमाटर बांटने (Distributing Tomatoes Tor Free) पड़ रहे हैं। अब आखिर इसके पीछे क्या कारण है ये तो खबर पढ़कर ही समझ आएगा।

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दरअसल, पिछले साल यानी 2024 में टमाटर के दाम 100 से 120 रुपए किलोग्राम तक पहुंच गए थे। जिससे रसोइयों से टमाटर गायब हो गया था। लेकिन आज हालात ये हैं कि टमाटर बिकना तो दूर बल्कि मुफ्त में बांटना पड़ रहा है। इस सीजन टमाटर का बम्पर उत्पादन हुआ। लेकिन पिछले एक महीने में टमाटर के दाम इतने नीचे आ गए कि खेतों से उसे तोड़ना भी किसानों को महंगा पड़ रहा है। नतीजा ये है कि बैतूल के किसान सैकड़ों क्विंटल टमाटर मुफ्त बांट रहे हैं या इन्हें मवेशियों को खिलाया जा रहा है।

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जिस रसीले टमाटर से भोजन में लज़्ज़त आ जाती है वो टमाटर अन्नदाता को खून के आंसू रुला रहा है। किसान लोगों को मुफ्त में टमाटर बांट रहा है और वो भी किलो दो किलो नहीं बल्कि सैकड़ो क्विंटल। किसान भूपेंद्र पवार ने बताया कि,पिछले एक महीने में टमाटर के दाम इतने नीचे आ चुके हैं कि खेतों से उसे तोड़ना भी किसान के लिए घाटे का ही सौदा है। बता दें कि, बैतूल के जिन किसानों ने टमाटर की खेती की है वो भारी नुकसान झेल रहे हैं। टमाटर की खेती में इस समय प्रति एकड़ लागत के मुकाबले 30 से 40 हजार का घाटा हो रहा है। यही वजह है कि किसान टमाटर मुफ्त बांट रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए जिससे किसान को सब्जियों की उपज का कोई न्यूनतम मूल्य तो मिले।

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मुफ्त में टमाटर बांटना किसानों के लिए जितना दर्द भरा है उतना ही आम लोगों के लिए ये किसी सौगात से कम नहीं। बाजार में टमाटर खरीदने पहुंचे सैकड़ों लोगों को मुफ्त में ही पांच दस किलोग्राम टमाटर मिल गए। तो उन्हें हैरत भी हुई लेकिन किसानों की मजबूरी देखकर उन्हें थोड़ा अफसोस भी हुआ। पिछले दिनों बैतूल के पत्ता गोभी उत्पादक किसानों ने भी दाम गिरने से गोभी के खेतों में मवेशी छोड़ दी थी। और अब टमाटर उत्पादक किसानों की ऐसी मजबूरी ये साबित करती है कि लोगों की थाली को तरह-तरह के व्यंजनों से भर देने वाला अन्नदाता खुद कितनी पीड़ादायक हालात से गुजर रहा है।

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