ये तो गजब हो गया! पंचायत में भ्रष्टाचार करने के लिए बना दिए नियम, सरपंच समेत सबका कमीशन तय, हाईकोर्ट पहुंचा मामला  


कुमार इंदर, जबलपुर। अब तक आपने भ्रष्टाचार को चोरी छिपे ही करते देखा या सुना होगा। लेकिन चोरी करने के लिए नियम बनाते न तो देखा होगा और न ही सुना होगा। लेकिन मध्य प्रदेश के अनुपपूर जिले की ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने मिलकर कमीशनखोरी के लिए ग्राम पंचायत में प्रस्ताव ही पारित कर दिया। सरपंच उपसरपंच, पंचों ने मिलकर पंचायत के विकास कार्यों में बाकायदा प्रस्ताव पारित कर कमीशन के रेट तय कर दिए। मामला जब तूल पकड़ा तो हाईकोर्ट की दहलीज पहुंच गया। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने इस मुद्दे पर राज्य शासन समेत संबंधित अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। 

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ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर तय कर लिया कमीशन 

दरअसल अनूपपुर जिले की ग्राम पंचायत सलारगोड़ी में सरपंच, उप सरपंच और पंचों पर आरोप है कि उन्होंने ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर विकास कार्यों की राशि में अपना कमीशन तय कर लिया। इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि सरपंच विक्रम प्रसाद ने 10%, उप सरपंच सोनियाबाई ने 7% और पंच नरबदिया बाई ने 5% कमीशन निर्धारित कर लिया है। जनहित याचिकाकर्ता सुनील कुमार सोनी की ओर से दलील दी कि इस भ्रष्टाचार के उजागर होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। समाचार प्रकाशन और शिकायतों के बावजूद प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं। 

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हाईकोर्ट की दहलीज पहुंचा मामला 

इसी के चलते हाई कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई गई। कोर्ट ने राज्य शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, कलेक्टर अनूपपुर, जिला एवं जनपद पंचायत के सीईओ सहित संबंधित पंचायत प्रतिनिधियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की मांग है कि अब तक हुए विकास कार्यों की न्यायिक जांच करवाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यह मामला पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार के संगठित स्वरूप को दर्शाता है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन क्या रुख अपनाते हैं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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