BJP ने उपाध्यक्ष समेत 6 पार्षदों को थमाया नोटिस, संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर किया जाएगा निष्कासित, ये है पूरा मामला


एसआर रघुवंशी, गुना. नगर पालिका परिषद की सोमवार को हुई बजट बैठक में नामांतरण अधिकार को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया. बैठक में भाजपा के ही कुछ पार्षदों ने पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाते हुए इसका विरोध किया. जिससे परिषद में भारी हंगामा मच गया. जिसके बाद भाजपा ने कड़ा रुख अपनाते हुए उपाध्यक्ष धरम सोनी समेत छह पार्षदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है. अगर संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है, तो इन्हें छह सालों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया जाएगा.

बैठक के दौरान नामांतरण का अधिकार नगर पालिका अध्यक्ष को देने के प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी. बैठक में मौजूद भाजपा के कुछ पार्षदों ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए पहले से लंबित पड़े 1200 नामांतरण मामलों के निपटारे की मांग रखी. लेकिन अध्यक्ष सविता गुप्ता और विधायक प्रतिनिधि अरविंद गुप्ता ने तत्काल बहुमत से निर्णय लेने की बात कही. जिससे विवाद और बढ़ गया.

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बात इतनी बढ़ गई कि परिषद के उपाध्यक्ष धरम सोनी और सीएमओ के बीच तीखी बहस हो गई. जो देखते ही देखते हाथापाई तक पहुंच गई. इस दौरान परिषद के पक्ष में 19 पार्षदों के हस्ताक्षर ले लिए गए. जबकि कुछ पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया. बैठक में हुई इस अनुशासनहीनता को गंभीरता से लेते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष ने तुरंत कार्रवाई का फैसला किया.

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पार्टी ने उपाध्यक्ष धरम सोनी और पांच अन्य पार्षदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि भाजपा पार्षद दल की बैठक में नामांतरण प्रस्ताव का समर्थन करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन कुछ पार्षदों ने परिषद की बैठक में इसका विरोध किया. जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हुआ.

इन पार्षदों को मिला कारण बताओ नोटिस

  1. धरम सोनी (उपाध्यक्ष)
  2. सुनीता रविन्द्र रघुवंशी (वार्ड 26)
  3. अजब बाई बहादुर लोधा (वार्ड 19)
  4. दिनेश शर्मा (वार्ड 16)
  5. ब्रजेश राठौर (वार्ड 11)
  6. सुमनबाई लालाराम लोधा (वार्ड 9)

भाजपा ने इन सभी पार्षदों को सात दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है. अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो संबंधित पार्षदों को छह सालों के लिए पार्टी से निष्कासित करने की चेतावनी दी गई है. इस पूरे घटनाक्रम से नगर पालिका की राजनीति गरमा गई है. भाजपा के भीतर भी इस मुद्दे को लेकर मतभेद उभर आए हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि नपाध्यक्ष चुनाव के दौरान जो पार्षद सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे थे, अब वही अध्यक्ष और उनके प्रतिनिधियों से अलग राय रखने लगे हैं. अब सबकी नजरें इन पार्षदों के जवाब और भाजपा के अगले कदम पर टिकी हुई है.

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