BNS 223 – कलेक्टर के किस आदेश की अवहेलना करना अपराध है, जानिए
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 162 लोक न्यूसेंस, एवं धारा 163 आंशिक खतरे या न्यूसेंस से निपटने के लिए सरकार द्वारा कर्फ्यू आदेश दिया जाना, एवं धारा 164 में बताया गया है कि जहाँ भूमि विवाद या जल विवादों में शांति भंग होती है, वहाँ लोक सेवक शांति बनाए रखने के लिए आदेश देगा। कुछ सिविल मामलों में भी लोक सेवक द्वारा शांति बनाए रखने के लिए आदेश जारी किए जाते हैं। इन्हीं आदेशों को कोई व्यक्ति नहीं मानता है या जानबूझकर आदेश की अवहेलना करता है, तब उस व्यक्ति के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी, जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 की परिभाषा
किसी लोक सेवक द्वारा विधि के अनुसार शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोई आदेश दिया गया हो और कोई व्यक्ति जानबूझकर इस आदेश की अवज्ञा करता हो, वह व्यक्ति BNS की धारा 223 के अंतर्गत दोषी होगा।
इस अपराध के होने के लिए निम्न तत्वों का होना आवश्यक है:-
आदेश प्राधिकृत लोक सेवक द्वारा दिया गया हो।
आदेश की जानकारी आरोपी को हो या दी गई हो।
आरोपी द्वारा आदेश की अवज्ञा की गई हो।
आदेश की अवज्ञा के परिणामस्वरूप लोक शांति भंग, बाधा, क्षोभ, क्षति, या परेशानी उत्पन्न हुई हो।
उदाहरण के अनुसार:- SDM द्वारा आदेश दिया गया हो कि किसी स्थान से जुलूस निकालना लोक शांति भंग होने का खतरा है, लेकिन इस आदेश के बाद भी आरोपी उस स्थान से जुलूस निकाल लेता है, तब आरोपी इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
मामला कहां दर्ज होगा
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं, अर्थात् पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी, लेकिन पुलिस थाने से एनसीआर लिखी जा सकती है। इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज होगा। परिवाद किसी लोक सेवक द्वारा दर्ज होगा।
इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 223 – Provision of Punishment
इस धारा के अपराध के दंड को नए कानून में दो भागों में बाँटा गया है:-
लोक सेवक के उस आदेश की अवज्ञा करना जिससे व्यक्तियों को बाधा, नुकसान, क्षति उत्पन्न होने वाली हो, तब आरोपी को छह माह की साधारण कारावास या दो हज़ार पाँच सौ रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
लोक सेवक के उस आदेश की अवज्ञा करना जिससे मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट हो, या बलवा, दंगा करे या होने की प्रवृत्ति हो, तब आरोपी को एक वर्ष की साधारण कारावास या पाँच हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
नोट:- राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर इस धारा के अपराध को जमानतीय से अजमानतीय कर सकती है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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