आदिवासी महिला ने सड़क किनारे बेटी को दिया जन्म, लोगों ने की मदद, आखिर क्यों आई ऐसी नौबत ?  


धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में सोमवार सुबह करीब 11 बजे 17 वर्षीय आदिवासी महिला ने सड़क किनारे एक बच्ची को जन्म दिया। छोटी कुमारी नाम की यह महिला, अपने पति सनी और चचेरी बहन चंदी बहेलिया के साथ फर्रुखाबाद से झांसी जा रही थी। जहां डॉक्टरों ने प्रसव के पहले अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी थी। लेकिन आर्थिक कारणों से अल्ट्रासाउंड न करा पाने के बाद वे केजीएन बस से टीकमगढ़ के लिए रवाना हो गए। ओरछा के सातार स्मारक के समीप प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें बस से उतरना पड़ा और एमजी ढाबा तथा सातार स्मारक के मध्य महिला ने बच्ची को जन्म दिया। 

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स्थानीय लोगों और पुलिस ने तत्काल सहायता प्रदान की। घटना की सूचना मिलते ही निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने तुरंत एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराईं। मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। स्थानीय महिलाओं, जिनमें कमला सहित अन्य शामिल थीं, ने भी प्रसव पीड़ा के दौरान छोटी कुमारी को भरपूर सहयोग प्रदान किया। डायल 100 के सिपाही कुलदीप यादव और अनिल रजक ने भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर एम्बुलेंस को सूचित किया। 

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छोटी कुमारी के पति और परिजनों ने बताया कि झांसी में डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड करने का कहा। हमने मना किया तो उन्होंने डिलीवरी करने से मना कर दिया। ऐसे में हम वापस टीकमगढ़ लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उन्हें बस से उतरना पड़ा। बहरहाल, यह सवाल खड़ा करता है कि क्या झांसी में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध थीं? अगर हां, तो एक गर्भवती महिला को वापस लौटने पर क्यों मजबूर किया गया? छोटी कुमारी का मामला आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से वंचित महिलाओं की समस्या को उजागर करता है। समय पर चिकित्सीय सहायता उपलब्ध हो पाती तो इस जोखिम से बचा जा सकता था।

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