सदन में परिवहन घोटाले की गूंज: विपक्ष ने की सवालों की बौछार, नेता प्रतिपक्ष ने पूछा- 52 KG GOLD, 10 करोड़ कैश किसका ? CBI जांच की मांग, परिवहन मंत्री ने नकारा


राकेश चतुर्वेदी/शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में परिवहन विभाग में हुए घोटाले पर चर्चा हुई। इस दौरान जमकर बहस हुई। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि 52 किलोग्राम सोना और 10 करोड़ कैश किसका है, यह आज तक पता नहीं चल सका ? सिंघार ने विधानसभा कमेटी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग की। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने भी अपनी बात रखी। वहीं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने परिवहन घोटाले के आरोपों को नकार दिया। उन्होंने कहा कि पहले से जो जांच हो रही है, उसका परिणाम आने दें, उससे पहले कैसे आरोप लगा सकते हैं। सक्षम एजेंसियां इस पूरे मामले में जांच कर रही हैं।

परिवहन घोटाले के मुद्दे पर चर्चा

गुरुवार को एमपी विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन परिवहन घोटाले के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण पर चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सौरभ शर्मा के मामले में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई। 52 किलो, 10 करोड़ के कैश के बारे में आज तक पता नहीं लग पाया, चेक पॉइंट पर अवैध वसूली हो रही है। इस पर जवाब देते हुए परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य के अलावा केंद्र की जांच एजेंसीय जांच कर रही है। सौरभ शर्मा की नियुक्ति नियमों से की गई थी। उसकी तरफ से जो शपथ पत्र लगाया गया था उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं, ये बाद में गलत पाया गया, लेकिन उस वक्त किसी ने शपथ पत्र पर आपत्ति नहीं की। यह कहते हुए परिवहन मेंत्री ने घोटाले के आरोपों को नकार दिया।

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जुलाई 2024 में हमने नाके बंद कर दिए- परिवहन मंत्री

परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने बताया कि चेक पोस्ट पर अनियमितताओं को लेकर सौरभ शर्मा उसके ठिकाने और ऑफिस पर छापेमारी की गई। एक करोड़ नगद और 20 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति को जप्त किया गया। विवेचना के दौरान उपलब्ध शासन के आधार पर सौरभ शर्मा और शरद जायसवाल और चेतन सिंह को आरोपी बनाया गया है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार का जवाब चार पन्नों उसमें कहां गया उसका मतलब है अब नहीं होगा। क्या अधिकारी को हटाना ही भ्रष्टाचार खत्म करना है। क्या पिछले ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने घोटाला नहीं किया होगा। विभाग के एसीएस से जवाब तलब किया, केंद्रीय एजेंसियां आकर कार्रवाई कर रही है। गाड़ी, फॉर्म हाउस किसकी है ? सब पता है लेकिन सोना और पैसा किसका यह अब तक पता नहीं।

विधानसभा कमेटी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में CBI जांच की मांग

उमंग सिंघार ने कहा कि 2013 से जितने परिवहन मंत्री रहे उनकी जांच क्यों नहीं हुई ? जिन अधिकारियों पर आरोप लग रहे हैं उनकी सीडीआर क्यों नहीं देखी गई। अधिकारियों के नार्को टेस्ट क्यों नहीं करवाते हैं। पैसा कहां से आया है क्या आसमान से आया है सरकार को जवाब देना होगा। इतनी सारी जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही है, लेकिन अब तक पता नहीं चला पैसा और सोना कहां से आया। वहीं नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा की कमेटी या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच मांग की है।

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मंत्री ने कहा- जब तक रिपोर्ट नहीं आती दूसरी एजेंसी जांच कराना उचित नहीं

परिवहन मंत्री उदय प्रताप ने कहा कि जांच एजेंसी पता लगा रही है पैसा और सोना किसका है, जब पॉइंट पर पहुंच जाएंगे तब आपको भी पता चल जाएगी। सरकार हर तरह से इन जांच एजेंसी को सहयोग कर रहे हैं। हम ऐसा सिस्टम बना रहे है जो पूरी तरह पारदर्शी हो। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को हटाया गया उसके ऊपर FIR हुई। सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में क्या सीबीआई जांच होगी। इस पर उदय प्रताप ने कहा कि मौजूदा जांच एजेंसियों की जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक दूसरी जांच एजेंसी को जांच देना उचित नहीं है।

उपनेता प्रतिपक्ष ने कही ये बात

उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटार ने सदन में पूर्व परिवहन मंत्रियों के नाम और उनके चुनाव के समय संपतियों को लेकर शपथ पत्र दिखाये। संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि किसी भी पूर्व मंत्री का नाम नहीं लिया जा सकता है। कैलाश ने दोनों पूर्व परिवहन मंत्रियों के नाम कार्यवाही से विलोपित करने को कहा… हेमंत ने कहा कि विधानसभा से मुझे जो जवाब मिला उसमें कई नोटशीट गायब कर दी, कुछ नोटशीट ब्लैंक आये हैं इस तरह के जवाब नहीं आना चाहिए। सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र मेरे पास है, इस नियुक्ति पत्र में लिखा है निज सहायक माननीय मंत्री जी सूचनार्थ यह मंत्री कौन थे पता लगाया जा सकता है।

हेमंत ने कहा- मंत्री की नोटशीट में आरक्षक की अनुशंसा थी, विधानसभा अध्यक्ष ने टोका

कटारे ने कहा कि कलेक्टर को पत्र प्रेषित किये जाने का जिक्र है, यह नोटशीट जिस पत्र आधार पर लिखा गया उसकी एक कॉपी सौरभ शर्मा, कलेक्टर और CMO को भेजा गया। फिर भी मंत्री का प्रेम था कि कैलाश विजयवर्गीय ने पॉइंट ऑफ ऑर्डर लेकर आपत्ति ली कहा यह विषय नहीं, नोटशीट की आखिरी लाइन में लिखा है माननीय मंत्री जी के एकल नस्ती के अवलोकन का जिक्र है। मंत्रीजी के नोटशीट के बाद 23-9-2016 को एक और नोटशीट आती है जिसमें दो विकल्प है नियमानुसार लिपिक या टाइपिस्ट के पद पर सौरभ शर्मा की पोस्टिंग दी जाए। मंत्री की नोटशीट में आरक्षक की अनुशंसा थी, विभाग उसे लिपिक या टाइपिस्ट बनाना चाहता था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने टोका और कहा कि नियुक्ति की बजाय विषय पर केंद्रित हों…हेमंत कटारे ने कहा कि सौरभ शर्मा ‘माननीय’ के संपर्क में आया वह ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति तक करवाता था।

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उपनेता प्रतिपक्ष ने परिवहन मंत्री को दिया जवाब

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फर्जी अनुकंपा नियुक्ति मंत्री ने खुद स्वीकार किया है। जिस नोटशीट के आधार पर नियुक्ति हुई थी उस पर कार्रवाई होगी ? एक मंत्री ने एक भी नोटशीट आने पर सन्यास की बात कही थी वह कब लेंगे। इस पर परिवहन मंत्री उदय प्रताप ने जवाब देते हुए कहा कि योग्य स्थान अनुसार कलेक्टर नियुक्ति करते हैं, प्रक्रिया में कोई संदेह नहीं है। अब जांच में जब शपथ पत्र में कुछ बातें गलत है तो हमने पुलिस विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।

कांग्रेस ने किया वॉक आउट

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि परिवहन घोटाले में बड़े मगरमच्छ बचे हैं। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। मंत्री, अधिकारियों की जांच होना चाहिए। वहीं कांग्रेस विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाजी की और सीबीआई जांच की मांग को लेकर विपक्ष ने वॉक आउट कर दिया।

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