हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणीः क्यों न निगम कमिश्नर के रवैए की जांच कराई जाए, व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने के दिए निर्देश, जानिए क्या है मामला


कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तल्ख टिप्पणी की है कि क्यों ना कमिश्नर के रवैए की जांच की जाए। एक अवमानना मामले में हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने निगम कमिश्नर को हर हाल में 19 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है। यह भी कहा है कि यदि 19 मार्च तक निगम की ओर से रिपोर्ट पेश नहीं हुई तो किसी भी सूरत में 20 मार्च को निगम कमिश्नर प्रीति यादव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना होगा। कोर्ट ने पूछा है कि आखिर उसके आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को नियमितीकरण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है।

आदेश का 1 साल बाद भी पालन नहीं

बता दें कि निलेश साहू ने नियमितीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए 5 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को नियमितीकरण करने के साथ ही अन्य कर्मचारियों के समान लाभ देने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश का 1 साल बाद भी पालन नहीं किया गया, जिसके बाद पीड़ित ने अवमानना याचिका दायर की थी।

कमिश्नर के कामों की जांच की जाएगी

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद कोई कारवाई नहीं की जा रही है। मामले में फैसला दिए एक साल से ऊपर हो चुका है। इतना लंबा समय गुजर जाने के बाद भी आदेश पर कोई अमल नहीं किया जा रहा। कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए हर हाल में निगम कमिश्नर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि आदेश का पालन नहीं होता है तो 7 दिन के बाद कमिश्नर के कामों की जांच की जाएगी।

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