MP की इस यूनिवर्सिटी से हटेगा ‘इंडिया’ शब्द, पहला विश्वविद्यालय बनेगा जहां ‘दस्तावेजों में लिखा जाएगा ‘भारत’ देश के नाम को लेकर यहां से शुरू हुई थी चर्चा


उज्जैन। देश में ‘भारत’ (Bharat) और ‘इंडिया’ (India) शब्द को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है। 1947 में देश को जब आजादी (country got independence) मिली थी तो संविधान सभा (Constituent Assembly) में देश के नाम को लेकर भी जमकर बहस हुई थी। आखिर में संविधान सभा ने संविधान में अनुच्छेद-1 में ‘इंडिया दैट इज भारत’ लिखा था (India, that is Bharat: Coloniality, Civilisation, Constitution) । जिसमें देश ने दो नाम होने की बात कही गई। वहीं अब मध्य प्रदेश की एक यूनिवर्सिटी ऐसी होने जा रही है जिसमें ‘भारत’ शब्द ही लिखा जाएगा।

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क्या है मामला

एमपी के उज्जैन का महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के सभी दस्तावेजों से ‘इंडिया’ शब्द को हटाकर ‘भारत’ शब्द किया जाएगा। यह फैसला विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया। जिसमें अब विश्वविद्यालय के आधिकारिक दस्तावेजों पर ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तमाल किया जाएगा।

‘भारत’ और ‘इंडिया’ कैसे पड़े दो नाम?

जब सन 1947 में आजादी मिली, तो नाम को लेकर चर्चा हुई। इस दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर जमकर बहस भी हुई थी। काफी चर्चा और बहस के बाद संविधान सभा ने संविधान में अनुच्छेद-1 में ‘इंडिया दैट इज भारत’ लिखा था। इसका अर्थ था कि, देश के दो नाम होंगे। जिससे उसे जाना होगा। इसके बाद से ही देश को ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों ही नामों से बुलाते थे। लेकिन बीते कुछ समय से दोनों नाम को लेकर चर्चा हो रही है। जिसमें देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ हो जाए और ‘इंडिया’ हट जाए कहा जा रहा है।

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देश के हैं दो नाम

देश के दो नाम हैं पहला भारत और दूसरा इंडिया। जिसे हम ‘भारत सरकार’ कहते हैं और ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ भी कहते हैं।

कहां से शुरू हुई देश के नाम पर चर्चा

G-20 समिट के लिए राष्ट्रप्रमुखों को राष्ट्रपति की ओर से एक न्योता भेजा गया था। जिसमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा है। जबकि, अब तक ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ लिखा जाता था। फिर क्या था, यहां जो बहस शुरू हुई वो आज तक न रुकी। आज भी यह विषय गर्म है। वहीं अब मध्य प्रदेश के उज्जैन की यूनिवर्सिटी के सभी दस्तावेजों से ‘इंडिया’ शब्द को हटाकर ‘भारत’ शब्द किए जाने का निर्देश दिए गए हैं।

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प्रबंधन ने कही ये बात

इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि, इस फैसले ने विश्वविद्यालय ने न सिर्फ भाषा और संस्कृति को सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि अपनी आधिकारिक पहचान में स्थापित करने का भी संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि, ‘भारत’ शब्द की यह पहल राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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