216 BNS – अधिकारी या कोर्ट के समक्ष झूठी शपथ या कथन देना कब अपराध होता है, जानिए
व्यक्ति को किसी अधिकारी या न्यायालय के समक्ष हमेशा सत्य कथन, बयान आदि देना चाहिए क्योंकि अगर शपथ, प्रतिज्ञा जितनी सत्य होती व्यक्ति का उतना ही विश्वास न्यायालय या अधिकारी के समक्ष बढता है। अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष झूठी शपथ लेता है या झूठी प्रतिज्ञा करता है तो उस व्यक्ति पर से अधिकारी का विश्वास तो हटेगा ही साथ ही कानून भी ऐसे व्यक्ति को दण्डित करे बगैर नहीं छोड़ेगा।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 216 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक या अधिकारी के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञा लेने के लिए कानूनी तोर पर बाध्य है और वह व्यक्ति लोक सेवक के समक्ष झूठी शपथ, प्रतिज्ञा, या मिथ्या कथन करता है तब वह व्यक्ति BNS की धारा 216 के अंतर्गत दोषी होगा। साधारण शब्दों मे, कोई व्यक्ति किसी सरकारी नौकरी में ज्वाइनिंग करता है और वह जानते हुए झूठा शपथ पत्र या प्रतिज्ञा आवेदन पत्र अधिकारी को देता है वह इसी धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita,2023 Section 216 Provision of punishment
यह अपराध,असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकते हैं एवं इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, एवं यह अपराध समझौता योग्य नहीं होते हैं। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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