असीरगढ़ किले की कहानी… क्या सच में छिपा है खजाना ? जानें मराठा और मुगलों से कनेक्शन ?


बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर का असीरगढ़ किला इस वक्त काफी सुर्खियों में है। इस किले में सोने के सिक्कों होने की अफवाह फैली। जिसके बाद लोगों ने दिन रात खुदाई शुरू कर दी। दरअसल, हाल ही में रिलीज हुई छावा मूवी में बताया गया कि इस किले में औरंगजेब का खजाना छुपा था। आइए जानते है इसकी सच्चाई और इस किले का शिवाजी से क्या कनेक्शन है…

असीरगढ़ किले को दक्षिण का द्वार भी कहा जाता है। यहां बुरहानपुर से लगभग 20 किमी दूर पर स्थित है। यह किला अपने रहस्यमयी इतिहास के कारण चर्चा में है। दरअसल, असीरगढ़ किले में सोने के सिक्कों की अफवाह फैलने से हड़कंप मच गया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग रात में खुदाई करते दिखे। हालांकि पुलिस इसे अफवाह बता रही है। लेकिन किले के ऐतिहासिक महत्व और खजाने की कहानियों ने लोगों की उत्सुकता बढ़ा दी है।

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अहीर राजा असीराज ने कराया था निर्माण

बताया जाता है कि यह किला 9वीं-10वीं शताब्दी में बना था। असीरगढ़ किले का निर्माण अहीर राजा असीराज ने करवाया था। इसी राजा के नाम पर इस किले का नाम असीरगढ़ पड़ा। यह किला मुगलों, मराठों और अंग्रेजों के हाथों में रहा और इसका इतिहास कई उतार-चढ़ावों से भरा है।

अकबर ने राजनीतिक दांव-पेंच और छल-कपट से किले के किलेदारों और सिपाहियों का सोना, चांदी, हीरे, मोतियों से मूंह भर दिया। इन लोभियों ने किले का द्वार खोल दिया। अकबर की फौज किले में घुस गई। बहादुरशाह की सेना अकबर की सेना के सामने न टिक सकी। इस तरह देखते ही देखते 17 जनवरी सन् 1601 ई. को असीरगढ़ के किले पर अकबर को विजय प्राप्त हो गई और किले पर मुगल शासन का ध्वज फहराने लगा।

मुगलों के बाद मराठों के शासन में रहा किला

असीरगढ़ कुछ समय के लिए मराठा वंश के राजाओं के आधिपत्य में भी रहा था, जिसका उल्लेख यादव जाति के इतिहासकारों ने संदर्भ में किया हैं। अकबर के शासनकाल के बाद यह किला सन् 1760 ईस्वी से सन 1819 ईस्वी तक मराठों के अधिकार में रहा। मराठों के पतन के बाद यह किला अंग्रेज़ों के आधिपत्य में आ गया था।

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इस दरवाज़े के सामने एक काली चट्टान है, जिस पर अकबर, दानियाल, औरंगजेब और शाहजहा के चार शिलालेख फारसी भाषा में स्थापित हैं। इन शिलालेखों पर किले के किलेदरों पर विजय प्राप्त करने वालों और सूबेदारों के नाम अंकित है। इस चट्‌टान के पास जो दरवाजा है, उसे किले के सूबेदार राजगोपालदास ने बनवाया था।

तीन भागों में बंटा है किला

असीरगढ़ किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। किले के अंदर एक मस्जिद, एक शिव मंदिर और एक महल है। यह तीन भागों में बंटा हुआ है। असिर्गगढ़, कमरगढ़ और मलयगढ़। असिर्गगढ़ पहला भाग है, कमरगढ़ दूसरा भाग है और त्रिकोणीय आकार वाला मलयगढ़ तीसरा भाग है। इतिहासकारों का मानना है कि मुगल काल से ही इस किले का बहुत महत्व रहा है। तभी से यहां गुप्त रूप से सोने का खनन किया जा रहा है।

छावा मूवी में दिखाई गई है कहानी

हाल ही में रिलीज हुई छावा फिल्म मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति शम्भाजी महाराज की बायोपिक है। लक्ष्मण उतेकर द्वारा निर्देशित यह फिल्म शिवाजी सावंत के मराठी उपन्यास छावा पर आधारित है। इस फिल्म में विक्की कौशल छत्रपति शम्भाजी महाराज और अक्षय खन्ना औरंगजेब की भूमिका में हैं। रश्मिका मंदाना ने महारानी येसुबाई की भूमिका निभाई। मूवी में दृश्य यह है कि छत्रपति शम्भाजी महाराज को हराने के बाद तत्कालीन मुगल राजा औरंगजेब ने मराठा राजाओं के अनगिनत खजाने लूट लिए और उन्हें बुरहानपुर के असीरगढ़ किले में छिपा दिया।

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