कोयला निकालने SECL ने छीन लिया कई पीढ़ियों का भविष्य, दर्जनों परिवारों की छीनी जमीनें, मुआवजे और नौकरी के इंतजार में बीत गए 3 दशक 


अजयारविंद नामदेव, शहडोल। कोल इंडिया की एसईसीएल ने शहडोल जिले में कोयला निकालने के लिए 90 के दशक में किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया था। कॉलरी प्रबंधन ने किसानों की जमीन से बेशकीमती कोयला निकाल कर करोड़ों का मुनाफा तो कमा लिया।  लेकिन जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर उन्हें नौकरी देने का वादा किया था वह वादा आज भी अधूरा है। नौकरी की उम्मीद में किसानों की एक पीढ़ी लाठी के सहारे जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई और दूसरी पीढ़ी भी रिटायरमेंट के करीब खड़ी है। 

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नियम के फेर में अटका कर किसानों के साथ हुआ छलावा 

एसईसीएल की इस वादाखिलाफी से सोहागपुर एरिया अंतर्गत 4 ग्राम पंचायतें मुख्य रूप से प्रभावित हुई हैं। इनमें छिरहटी, खन्नाथ, नौगांव और सिरोंजा गांव शामिल है। 90 के दशक में प्रबंधन ने यहां से 100 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि का अधिग्रहण कर किसानों को मुआवजे और नौकरी का नोटिस भी बांट दिया था। लेकिन जब नौकरी और मुआवजा देने की बात आई तो नियम के फेर में अटका कर प्रबंधन किसानों के साथ छलावा कर रही है। 70 साल बीत जाने के बाद भी इस वक्त जवान व्यक्ति आज बूढ़ा हो चला है फिर भी नौकरी का इंतजार कर रहा है।

कोल प्रबंधन की लापरवाही ने 47 परिवारों के भविष्य से किया खिलवाड़  

आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के जनपद पंचायत सोहागपुर अंतर्गत  ग्राम खन्नाध, छीरहटी, नौगांव , सिरोंजा क्षेत्र के लगभग 47 किसानों के परिवार ऐसे हैं , जिनका ( SECL ) केंद्र सरकार के इस उपक्रम जो साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के सोहागपुर एरिया कोल प्रबंधन ने 90 के दशक में जिन सैकड़ो किसानों की भूमि अधिग्रहण की थी। कालरी प्रबंधन के द्वारा भूमि अधिग्रहण के एवज में नौकरी दिए जाने का किसानों के नाम प्रकाशित किये गये और किसानों को कार्यालय से नोटिस भी जारी किया गया। जिले में स्थित रोजगार कार्यालय ने उनके रोजगार को लेकर पंजीयन और पुष्टि तक की प्रक्रिया पूरी की। राजस्व विभाग ने पुलिस तथा अन्य विभागों से नौकरी के संदर्भ में की जाने वाली प्रक्रिया का कोरम भी पूरा किया, लेकिन नौकरशाही और कोल प्रबंधन की लापरवाही ने 47 परिवारों का भविष्य शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया है।

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दूसरी पीढ़ी कर रही नौकरी का इंतजार 

कोल प्रबंधन ने राजेंद्रा भूमिगत खदान से करोड़ों रुपए का कोयला हर माह बीते 3 दशकों से लगातार उत्खनन किया, इसके फलस्वरूप क्षेत्रीय किसानों को धूल, धुआ और बंजर भूमि दे दी। हालत यह है कि भूमिगत खदान के कारण क्षेत्र का भूजल स्तर काफी नीचे चला गया, किसान खाली पड़े कुछ भूखंडों पर यदि खेती भी करते हैं तो वहां पानी नीचे रिस जाने के कारण टिक नहीं पता। बोई गई फसलें इसी वजह सूख जाती है, क्षेत्र में बेरोजगारी की स्थिति अपने चरम पर हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 90 के दशक में 35 साल के ग्राम खन्नाध के नंदूराम पटेल आज 75 साल के हो गए और अब उन्हें ना तो आंखों से ठीक दिखता है और नहीं वह ठीक से चल पाते हैं, अब उसकी जगह उसका 37 साल का पुत्र दीपक पटेल हाथ में फाइल लेकर अन्य दर्जनों किसान पुत्रों की तरह कोल इंडिया के कार्यालय और नेताओं के घरों की डेहरी नाप रहा है।

वहीं इस पूरे मामले में  न तो जिला प्रशासन कुछ बोल रहा और न ही SECL प्रबंधन कुछ बोल रहा , जिला यह सेंट्रल गवर्नमेंट SECL से जुड़ा मामला बता कर कुछ भी कहने से इंकार कर रहा तो वही जिम्मेदार SECL प्रबंधन कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बच रहा है। 

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