Bhagoriya Mela 2025: जानिए क्यों मनाया जाता है भगोरिया उत्सव, आदिवासियों के लिए पर्व है बेहद खास, किसने की थी इसकी शुरुआत ? 


सुनील जोशी, अलीराजपुर। देश भर में अपनी पहचान बना चुका भगोरिया हाट यानी भगोरिया मेला 7 मार्च से अलीराजपुर जिले में लगने जा रहा है। स्थानीय लोगों ने तो इसकी तैयारी कर ली हैं, वहीं प्रशासन भी मेले में सुविधा और सुरक्षा को लेकर जुटा हुआ है। वहीं पुलिस प्रशासन सीसीटीवी कैमरा और  ड्रोन के जरिए मेले पर नजर रखेगा। पूरे जिले मे 33 जगह भगोरिया हाट लगेगा, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से लेकर कोटवार  तक मेले की व्यवस्था में तैनात रहेंगे। भगोरिया उत्सव की शुरुआत विश्व प्रसिद्ध वालपुर से होगी, जहां  विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

READ MORE: जमीन उगल रही सोने के सिक्के! आग की तरह फैली खजाने की खबर, खुदाई करने उमड़ पड़ा लोगों का सैलाब 

जानिए क्या है भगोरिया उत्सव 

भगोरिया मेले में आदिवासी लोकसंस्कृति के रंग चरम पर नजर आते हैं। इन मेलों में आदिवासी संस्कृति और आधुनिकता की झलक देखने को मिलती है। कहा जाता है कि आदिवासियों के जीवन में यह उल्लास का पर्व है। भगोरिया उत्सव के लिए बाहर से आदिवासी अपने घर आते हैं। होली के सात दिन पहले मनाए जाने वाले इस उत्सव में आदिवासी समाज डूबा रहता है। इन सात दिनों के दौरान आदिवासी समाज के लोग खुलकर अपनी जिंदगी जीते हैं। कहा जाता है कि देश के किसी भी कोने में काम के लिए गए आदिवासी, भगोरिया पर अपने गांव लौट आता है। मेले का नजारा खूबसूरत होता है। पूरे दिन भगोरिया मेलों में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इसलिए भगोरिया को उल्लास का पर्व भी कहा जाता है।  

READ MORE: बेटी के साथ मार्केट गए पिता की हार्ट अटैक से मौत, जेब से पैसा निकालते ही बेसुध होकर गिरा, Video Viral

क्यों मनाया जाता है भगोरिया पर्व 

मान्यता है कि भगोरिया की शुरुआत राजा भोज के समय से हुई थी। उस समय दो भील राजाओं कासूमरा और बालून ने अपनी राजधानी में भगोर मेले का आयोजन शुरू किया था। इसके बाद दूसरे भील राजाओं ने भी अपने क्षेत्रों में इसका अनुसरण शुरू कर दिया। उस समय इसे भगोर कहा जाता था। वहीं, स्थानीय हाट और मेलों में लोग इसे भगोरिया कहने लगे। इसके बाद से ही आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भगोरिया उत्सव मनाया जा रहा है।

मेले में रिश्ते भी होते हैं तय

भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते भी तय होते हैं। मेले में आदिवासी युवतियां पारंपरिक वेशभूषा में आती हैं। इसके साथ ही वह नृत्य भी प्रस्तुत करती हैं। परिवारों की सहमति से भगोरिया मेले में आदिवासी युवक और युवतियों के रिश्ते भी तय होते हैं। कहा जाता है कि इस मेले में युवतियां अपनी पसंद से लड़कों का चुनाव करती हैं। इसके बाद परिवार के लोग उसी के साथ शादी कराते हैं।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *