व्यापम घोटाला चालू आहे! भोपाल और इंदौर वालों की लड़ाई, सबके सामने आई


मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल में वह घोटाला अभी भी चल रहा है, जिसके कारण सन 2017-18 में मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार बदनाम हुई थी। इसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है परंतु सिग्नल मिल गया है। घोटाला में शामिल कुछ लोगों के बीच में तनाव की स्थिति बन गई। भोपाल वालों ने प्रेशर बनाने के लिए इंदौर में एक गिरफ्तारी करवा दी, और मामला दर्ज होने के बाद सामने वाले ने भोपाल वालों के सामने सरेंडर कर दिया। इसलिए मामले को यहीं खत्म करने की कोशिश की जा रही है। 

सबसे पहले घटना का विवरण संक्षिप्त में

शनिवार दिनांक 22 फरवरी 2025 को इंदौर के एमबी खालसा कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ भर्ती परीक्षा, ऑनलाइन परीक्षा केंद्र पर दूसरे सत्र में एक फर्जी परीक्षार्थी पकड़ा गया, जो पवन रावत, निवासी जौरा (मुरैना) के नाम से परीक्षा दे रहा था। इसकी पहचान तब हुई जब बायोमेट्रिक और आयरिस स्कैन का मिलान नहीं हुआ। जांच में केवल एक अंगूठे की पहचान मेल खाई, जबकि परीक्षार्थी का फोटो भी असली उम्मीदवार से अलग पाया गया।

सिंपल से दो सवाल

(कृपया यहां नोट कीजिए, बायोमेट्रिक और आयरिस स्कैन मैच नहीं किया, उम्मीदवार का फोटो भी मैच नहीं किया। इसके बावजूद युवक को परीक्षा देने के लिए कक्ष में प्रवेश दिया गया। यदि घोटाला नहीं है तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है। इस जानकारी में कृपया दूसरी बात नोट कीजिए। थंब इंप्रेशन यानी अंगूठे का निशान मैच कर गया था। पुलिस डिपार्टमेंट के फोरेंसिक एक्सपर्ट कहते हैं कि, फिंगरप्रिंट्स कभी मैच नहीं कर सकते। सवाल तो बनता है कि जब, मुरैना का पवन रावत परीक्षा देने के लिए आया ही नहीं तो फिर अंगूठे का निशान कैसे मैच कर गया।) अब कहानी में आगे बढ़ाते हैं…

सीन नंबर दो

असली परीक्षार्थी की जगह जो नकली परीक्षा की आया था वह परीक्षा कक्ष में बैठकर परीक्षा दे रहा था। इसी बीच भोपाल में मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के ऑफिस में स्थित कंट्रोल रूम एक्टिव हुआ और इंदौर कलेक्टर को इसकी सूचना दी गई। कलेक्टर द्वारा नियुक्त फ्लाइंग स्क्वाड के सदस्य चरणजीत सिंह हुड्ढा (डिप्टी कलेक्टर), नागेंद्र त्रिपाठी (नायब तहसीलदार, मल्हारगंज) और डी.एस. चौहान (उप संचालक, उद्यानिकी विभाग) परीक्षा केंद्र पहुंचे और युवक से पूछताछ की। सही जानकारी न देने पर उसे आगे की कार्रवाई के लिए छत्रीपुरा पुलिस को सौंप दिया गया।

जब पत्रकारों ने पुलिस से जानकारी मांगी तो पुलिस ने बताया कि पकड़े गए व्यक्ति का नाम राहुल है। वह राजस्थान का रहने वाला है और ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है। उसने पवन के स्थान पर परीक्षा देने के लिए विजय नगर, इंदौर में किसी से दो लाख रुपए की डील की थी, जिसकी जांच जारी है। 

सिंपल से दो सवाल 

पुलिस ने पकड़े गए व्यक्ति का पूरा नाम और पहचान नहीं बताई। जबकि ऐसे मामलों में सामान्य तौर पर पुलिस फोटो भी जारी कर देती है। पुलिस ने कहा कि पकड़ा गया व्यक्ति ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है जबकि वह तो उम्मीदवार के स्थान पर परीक्षा देने के लिए आया था। यानी पढ़ा लिखा होना चाहिए था। 

बड़ी ही चतुराई के साथ उसे व्यक्ति को बचा लिया गया जो किसी परीक्षार्थी के स्थान पर दूसरे व्यक्ति का इंतजाम करते हैं और उसे परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिलवाकर परीक्षा संपन्न होने तक संरक्षण देते हैं।

निष्कर्ष या संदेह

किसी भी मामले में ऐसा तब होता है जब पर्दे के पीछे कुछ और चल रहा हो और पब्लिक को कुछ और दिखाने की कोशिश की जा रही हो। इस मामले में शायद ऐसा हो सकता है कि भोपाल वालों और इंदौर वालों के बीच में कोई तनाव की स्थिति बनी। भोपाल वालों ने अपनी पावर दिखाने के लिए, एक चाल चली। गिरफ्तारी होते ही इंदौर वाला डर गया। उसने भोपाल वालों के सामने सरेंडर कर दिया। अब मामले को दबाने और कुछ समय बाद खत्म कर देने का प्रयास किया जा रहा है। नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता था जो कलेक्टर की स्क्वाड किसी को पकड़े और कलेक्टर का PRO, प्रेस नोट जारी ना करें।

विनम्र अनुरोध कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। मध्य प्रदेश से संबंधित महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Madhyapradesh पर क्लिक करें। 





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *