गरीबों के घर पर डाका: सचिव ने भोले-भाले आदिवासियों के खाते से अंगूठा लगवा कर निकाल लिए आवास के पैसे, अब झोपड़ी में रहने को मजबूर ग्रामीण   


रवि रायकवार, दतिया। मध्य प्रदेश के दतिया जिले से पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार (Corruption) का गंभीर मामला सामने आया है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि उनके अंगूठे लगवाकर निकाल लिए, जिसकी वजह से उनके नाम पर राशि जारी होने के बाद भी अब तक उनका घर नहीं बन पाया है। जिसके वजह से अब वे झोपड़ी में रहने को मजबूर है। 

सचिव ने हड़प लिए आवास के पैसे 

जिले के उनाव कस्बे में रहने वाले आदिवासी समाज के लोगों के आवास के पैसे सचिव राधेश्याम यादव हड़प गया। आदिवासी समाज कि लोग अपने परिवार के साथ दतिया के जिला पंचायत अधिकारी अक्षय कुमार टेम्रवाल के यहां अपनी फरियाद लेकर पहुंचे और कहा साहब हमारा मकान पक्का बनवा दो, झोपड़ी में अब नहीं रहा जाता।   

सरकार की योजना का आदिवासियों को नहीं मिल सका लाभ  

सरकार जहां एक ओर आदिवासी समाज के लोगों के लिए कई योजनाएं ला रही है और लगातार उन तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इन्हीं में से एक योजना है प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना। अगर हम बात करें प्रधानमंत्री आवास योजना और जनमन आवास योजना की तो, जनमन आवास योजना के तहत आदिवासी परिवारों को दो लाख रुपये मकान बनाने के लिए सरकार के द्वारा दिया जाता है। जो की तीन किस्तों में आता है। 75 हजार की दो एवं 50 हजार की एक किस्त आती है। 

झोपड़ी में रहने को मजबूर हुए ग्रामीण 

प्रदेश सरकार के द्वारा इन आदिवासियों के खाते में पैसे तो डाल दिए गए, लेकिन उनाव के सचिव राधेश्याम यादव के कारनामे की वजह से आज तक आदिवासी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। कारण यह रहा की उनाव मंडल के सचिव राधेश्याम यादव ने इन आदिवासियों से उनके खाते से पैसे निकलवाने के लिए उनके अंगूठे लगवा लिए,और उनके पैसे निकाल लिए। सचिव ने कहा आपका मकान बना कर देंगे। लेकिन कई बार कहने के बाद भी सचिव द्वारा उनके मकान का निर्माण नहीं कराया गया। अब यह आदिवासी समाज के लोग अपनी गुहार सीईओ अक्षय कुमार यहां लगाते हुए नजर आए।  

कई बार सचिव के खिलाफ हो चुकी है शिकायत 

सचिव राधेश्याम यादव उनाव कस्बे में सचिव के पद पर पदस्थ है, कई बार इनकी शिकायत प्रशासन के पास की जाती है। लेकिन आज तक जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही वजह है कि यह आदिवासी से लेकर गरीबों तक का काम बिना पैसों के नहीं करते हैं। अब देखना होगा कि मामले के उजागर होने के बाद कलेक्टर क्या कार्रवाई करते हैं ?

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