बेलेश्वर बावड़ी हादसा: निगमायुक्त शिवम् वर्मा को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस, दिए ये निर्देश 


हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश इंदौर के बहुचर्चित बेलेश्वर बावड़ी हादसे को लेकर नगर निगम प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। उच्च न्यायालय ने निगमायुक्त शिवम् वर्मा को अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। मार्च 2023 में रामनवमी के दिन बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हवन के दौरान बावड़ी धंसने से 36 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे से व्यथित होकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद कुमार द्विवेदी ने अधिवक्ता मनीष यादव और प्रियेश भावसार के माध्यम से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी।

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जनहित याचिका में क्या मांग की गई थी

याचिकाकर्ताओं ने इंदौर शहर की सभी पुरानी बावड़ियों और कुओं को पुनर्जीवित करने, अतिक्रमण हटाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। विस्तृत सुनवाई के बाद जनवरी 2024 में उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए निगम और स्थानीय प्रशासन को कई निर्देश जारी किए थे।

निगम और प्रशासन पर कोर्ट के आदेश की अनदेखी का आरोप

  • याचिकाकर्ताओं का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बावजूद नगर निगम प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
  • कई पुरानी बावड़ियों और कुओं पर अवैध निर्माण जारी है।
  • भविष्य में फिर से ऐसे हादसे होने की आशंका बनी हुई है।
  • न्यायालय द्वारा दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश भी नजरअंदाज कर दिए गए।

अवमानना याचिका और कोर्ट की सख्ती

आदेश का पालन न होते देख याचिकाकर्ताओं ने माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनीष यादव और प्रियेश भावसार ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की युगल पीठ ने इन तर्कों से सहमत होते हुए नगर निगमायुक्त शिवम् वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है।

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यदि नगर निगम संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता, तो उच्च न्यायालय कड़ी कार्रवाई कर सकता है। इस मामले को लेकर इंदौर में नगर प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि इतनी बड़ी त्रासदी के बावजूद सुरक्षा को लेकर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?

निगम और प्रशासन के लिए कड़ी चेतावनी

बेलेश्वर बावड़ी हादसे के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के दावे तो किए, लेकिन अभी भी कई जगहों पर बावड़ियों पर अवैध निर्माण जारी है। उच्च न्यायालय के इस सख्त रुख के बाद निगम पर जवाबदेही तय होने के आसार हैं। अब देखना होगा कि अगले चार सप्ताह में नगर निगम क्या सफाई पेश करता है।

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