203 BNS – सरकारी अधिकारी कर्मचारी द्वारा संपत्ति खरीदना-बेचना कब अपराध होगा, जानिए
शासकीय सेवक जब सरकारी नौकरी करता है तो उसे सिविल सेवा के नियमों, विनियमों के अनुसार ही सेवा करनी होती है। सिविल सेवा नियम कहता है कि शासकीय सेवक किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदता है या बेचता है या किसी भी प्रकार की बोली लगाता है तो यह सिविल सेवा नियम का उल्लंघन होगा। उसे ऐसा कार्य करने की सूचना तुरन्त शासन या विभाग को देना होगा। अगर कोई लोक सेवक उक्त नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, जानिए:-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 203 की परिभाषा
कोई भी लोक सेवक (सरकारी अधिकारी अथवा सरकारी कर्मचारी) संपत्ति को न तो स्वयं के नाम से न अन्य व्यक्ति (परिवार का सदस्य, रिश्तेदार, नातेदार, मित्र, परिचित, नौकर इत्यादि) के नाम से खरीदेगा न बेचेगा, न ही बोली लगाएगा। अगर वह ऐसा करता है तो वह BNS की धारा 203 के अंतर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 203 Provision of punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवाना होगा। इन अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- दंड में यह भी प्रावधान है कि अगर किसी लोक सेवक ने संपत्ति खरीद ली है, तो उस संपत्ति को जप्त किया जा सकता है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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