पॉवर गॉशिप: मिलना है लेकिन पर्दे में.. प्रदेश पदाधिकारियों को भी बनना है जिलाध्यक्ष.. एक बाला, एक सीनियर अफसर और फैल गया रायता.. मंत्री जी के स्टाफ में इंग्लिश ट्रांसलेटर


मिलना है लेकिन पर्दे में
मामला सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय का है, जहां प्रवक्ता कक्ष में सेवाएं देने वाले एक नेताजी पुराने प्रमुख से मिलने के जतन करते दिखे. ऐसा नहीं कि पुराने प्रमुख से मुलाकात कोई बड़ी बात थी, लेकिन सार्वजनिक रूप से मुलाकात में नेताजी परहेज करते देखे. नेताजी टकटकी लगाकर इंतजार करते रहे कि पुराने प्रमुख से कब एकांत में मुलाकात हो. एक बार अवसर भी आ गया, लेकिन साथी टकरा गए तो नेताजी पुराने प्रमुख से दूरी बनाते दिखे.

प्रदेश पदाधिकारियों को भी बनना है जिलाध्यक्ष
बीजेपी में जिलाध्यक्ष बनने की भारी मारामारी है. जिलों के आला नेता तो अपने चेलों को जिलाध्यक्ष बनवाने में जुटे ही हुए हैं, जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल नेताओं में प्रदेश पदाधिकारी भी पीछे नहीं हैं. जब पदाधिकारी ही प्रदेश स्तरीय हैं तो दिल्ली तक पहुंच भी अच्छी है. कुल मिलाकर सूची जारी होने तक लॉबिंग का दौर चलता ही रहेगा.

एक बाला, एक सीनियर अफसर और फेल गया रायता

इस दिनों नींद हराम है। ऐसी हराम की दफ्तर में भी दिल नहीं लगता। ब्लड प्रेशर हाई लेवल पर हैं। अब तो अपनों पर भी शक करने लगे हैं। दरअसल, यह हालत किसी आशिक की नहीं बल्कि पीडब्ल्यूडी के बड़े अधिकारी की है। मामला रंगीनियत से जुड़ा हुआ है। महोदय एक वाला के साथ है। वीडियो में नियत भी साफ साफ दिखाई दे रही हैं। और यह वीडियो भी कुछ लोगों के मोबाइल तक पहुंच गया है। साहब समझ नहीं पा रहे हैं कि करें क्या। खूबसूरत बाला भी आँखें दिखा रही हैं। साहब इतनी समस्या में है कि हर फोन की घंटी पर चौंक जाते हैं। वैसे सब का पिछला रिकॉर्ड भी कुछ अच्छा नहीं है। खास तौर से सड़कों के मामले में। वैसे सब पूरी मशक्कत से इस बात की कोशिश में लगे हुए हैं कि मामला जहां-जहां भी है वहां-वहां कैसे भी ठहर जाए। लेकिन साहब का रायता निर्माण भवन में तो फैली चुका है।

मंत्री जी के स्टाफ में इंग्लिश ट्रांसलेटर

कहते हैं..लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि की शिक्षा मजबूत विधायिका का आधार होती है। लेकिन यह देश का दुर्भाग्य कहिए कि कई अंगूठा छाप प्रतिनिधि कई सदनों में अक्सर दिखाई दिए। ऐसे ही एक माननीय मध्य प्रदेश में भी है। आदरणीय को सरकार में बड़ा पद तो मिला लेकिन काबिलियत के आधार पर नहीं। हालात ऐसे हैं कि दिल्ली से लेकर कई अंग्रेजी भाषा में आने वाले कागज माननीय के सर के ऊपर से गुजर जाते हैं। खासकर उनके ही केंद्रीय मंत्रालय के कागजात। इस समस्या से परेशान मंत्री जी अपने निजी स्टाफ में इंग्लिश ट्रांसलेशन के लिए एक योग्य व्यक्ति को लेकर आए हैं। इसकी चर्चा मंत्रालय में भी जमकर है। यह हुआ भी ऐसा की कई केंद्रीय आदेश के हिंदी रूपांतरण में निकले अफसर की मनमानी माननीय को पता चली। फिर क्या था, स्टाफ में तौबा तौबा हो गया। सुनने में तो यह भी आया है कि विभाग का एक बड़ा टेंडर इंग्लिश में सशर्त तो होने के कारण मंत्री जी के समझ में नहीं आया। अधिकारी ने जो बताया वह मान भी गए। और बड़ा नुकसान मंत्री जी को झेलना पड़ा। लिहाजा मंत्री जी ने अपने स्तर पर एक ट्रांसलेटर को रखा है। है ना गजब मध्य प्रदेश की अजब कहानी।

(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *