जीवाजी यूनिवर्सिटी में फिर गड़बड़ी: पीएचडी का परीक्षा पेपर व्हाट्सएप पर लीक, मेंबर्स ने लगाए गंभीर आरोप, कुलगुरु को सौंपा शिकायती पत्र 


कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर जीवाजी यूनिवर्सिटी जिसे डबल ए प्लस का तमगा हासिल है, लेकिन यहां आर्थिक अनिमत्ताओं के साथ-साथ परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला पीएचडी परीक्षा को लेकर सामने आया है, इसमें यूनिवर्सिटी के ही मेंबर्स ने पीएचडी के परीक्षा पेपर को व्हाट्सप पर लीक होने का आरोप लगाया है। हैरत की बात ये है इस मामले में कुलगुरु को लिखित शिकायत की है, लेकिन न तो मेंबर्स को यूनिवर्सिटी जवाब दे रही है, न ही मीडिया को।

मेहनती छात्रों के साथ किया गया अन्याय 

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में कुलगुरु अविनाश तिवारी और राज्यपाल द्वारा नामित कार्यपरिषद सदस्यों के बीच विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। ईसी सदस्यों ने आरोप लगाया है कि  पीएचडी प्रवेश परीक्षा का पेपर आउट कर मेहनती छात्रों के साथ अन्याय किया गया है। ये शिकायत कार्यपरिषद के सदस्य डॉ. रवि अंबे, विवेक भदौरिया सहित सभी मेंबर्स ने कुलगुरु को एक पत्र सौंपा। आपको बता दें कि पिछले महीनों में जीवाजी विश्वविद्यालय की 505 सीटों के लिए पीएचडी प्रवेश कराई थी, जिसमें साढ़े तीन हजार से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया था।

विश्वविद्यालय प्रशासन से 7 बिंदुओं पर मांगा जवाब 

इसमें उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से 7 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिसमें फिजिकल एजुकेशन विभाग की भर्ती प्रक्रिया और प्रवेश परीक्षा की पारदर्शिता शामिल थी। सदस्य विवेक भदौरिया ने दावा किया कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा के उत्तर कुछ अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर पहले ही भेज दिए गए थे। ईसी सदस्य अपने पास ऐसे साक्ष्य होने का दावा करते हैं, जिससे परीक्षा में अनियमितता को साबित किया जा सकता है। उनका आरोप है कि जिन छात्रों को उत्तर मिले थे, वे सफल छात्रों की सूची में हैं।

 यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने मामले पर साधी चुप्पी 

वहीं दूसरी ओर जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु अविनाश तिवारी और रजिस्ट्रार डॉ. अरुण चौहान इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे है। वहीं अभी यहां हाल ही में, यूनिवर्सिटी में उपराष्ट्रपति के हाथों जीवाजी राव की प्रतिमा का अनावरण कराया गया था। प्रतिमा अनावरण पर हुए खर्च की जानकारी भी प्रशासन ने ईसी सदस्यों ने मांगी है। बहरहाल यूनिवर्सिटी प्रबंधन के द्वारा इस मामले में चुप्पी कहीं न कहीं प्रबंधन को ही कटघरे में खड़े कर रही है। ऐसे में मेंबर्स ने साफ कर दिया है, वो इस मामले को अब राज्यपाल के पास ले जा रहे है।

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