‘भिक्षावृत्ति पेशा नहीं मजबूरी’: एक जनवरी से इंदौर में भीख देने वालों के खिलाफ FIR, कलेक्टर से मिलने पहुंचे भिक्षुक


हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भीख मांगकर अपना गुजारा करने वाले लोगों को आगामी एक जनवरी से भिक्षावृत्ति करना मुश्किल हो जाएगा। एक जनवारी से भिखारी नहीं बल्कि भीख देने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश कलेक्टर ने जारी किया है। इस आदेश के खिलाफ शहर के भिखारियों ने मोर्चा खोल दिया है।

दरअसल सहयोग पोस्ट निवारण संघ के बैनरतले भिक्षावृत्ति को लेकर बड़ी संख्या में भिक्षुक रैली की शक्ल में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। वे अपने हाथों पर पोस्टर लिए हुए थे जिसमें लिखा था- भिक्षावृत्ति पेशा नहीं मजबूरी है। कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सहयोग कुष्ठ निवारण संघ ने आर्थिक मदद की मांग की है। कहा कि- इस महंगाई में राशन, सिलेंडर सहित अन्य घरेलू सामान महंगे हो गए हैं ऐसे में सिर्फ ₹600 पेंशन से गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। घर का खर्च ही महीने में 5 से 10 हजार हो जाता है ऐसे में ₹600 पेंशन में गुजारा कैसे चलेगा।

भिक्षा देने वालों को हो सकती जेल

इंदौर कलेक्टर से भीख देने पर जेल जाने की बारे के आदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा की धारा 144 के तहत आने वाले दिनों में आदेश जारी किया जाएगा लेकिन अभी इस प्रकार का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन द्वारा सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी करने का पूरा मन बना लिया गया है। अभी आदेश जारी होने का इंतजार करना चाहिए।

शहर में भीख मांगने का गिरोह सक्रिय

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि कुछ लोग खुद को दया का पात्र बनकर भिक्षावृत्ति करते हैं लेकिन भिक्षावृत्ति करने वालों का पूरा गिरोह सक्रिय है जो कि छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का इस्तेमाल भिक्षावृत्ति के लिए कर रहा है। कई लोग अपनी जरूरत पूरा करने के लिए नहीं बल्कि नशा करने के लिए भी भिक्षावृत्ति कर रहे हैं। ऐसे लोगों को रोकना समाज की भी जिम्मेदारी है। इसी के चलते नया प्रयोग किया जा रहा है। यदि भीख देने वाले अपना हाथ रोक देंगे तो भिक्षुकों की संख्या खत्म करने में उनका भी योगदान साबित होगा।

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