EV Stocks के इन्वेस्टर्स हेतु बड़ी खबर, भारी उद्योग मंत्रालय की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति
उन्होंने संसद में बताया कि, भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा ऐसी कोई नीति नहीं बनाई गई है। इस प्रकार उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारी उद्योग मंत्रालय की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के बारे में जितने भी समाचार प्रसारित किया जा रहे थे, वह उनके अपने विचार थे। सरकार ने अब तक ऐसी कोई नीति नहीं बनाई है। हालांकि, भारी उद्योग मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) अपनाने और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए 2024 में निम्नलिखित नई योजनाओं को अधिसूचित किया है:-
पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) स्कीम: 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली इस योजना को 29 सितंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया था। यह दो साल की योजना है जिसका उद्देश्य ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-ट्रक, ई-बस, ई-एम्बुलेंस, ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और परीक्षण एजेंसियों के उन्नयन सहित इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है।
पीएम ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) योजना: इस योजना को 28.10.2024 को अधिसूचित किया गया था। इस योजना का परिव्यय 3,435.33 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों के परिनियोजन में सहयोग करना है। इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (पीटीए) द्वारा भुगतान में चूक की स्थिति में ई-बस ऑपरेटरों को भुगतान सुरक्षा प्रदान करना है।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने (SPMEPCI) के लिए 15 मार्च, 2024 को भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना अधिसूचित की गई थी। इसके लिए आवेदकों को न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और तीसरे वर्ष के अंत में न्यूनतम 25 प्रतिशत और पांचवें वर्ष के अंत में 50 प्रतिशत का डीवीए प्राप्त करना होगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी
राज्य सरकारों को ई-वाहनों के लिए प्रत्यक्ष सब्सिडी प्रदान नहीं की जाती है। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों के उपभोक्ताओं को विभिन्न योजनाओं के जरिए प्रोत्साहित किया जाता है। भारी उद्योग मंत्रालय ने पंजाब सहित अखिल भारतीय स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित योजनाएँ तैयार की हैं: –
भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और उनका विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना चरण-II: सरकार ने 1 अप्रैल, 2019 से पांच साल की अवधि के लिए इस योजना को लागू किया, जिसके लिए कुल 11,500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन दिया गया। इस योजना ने ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-4डब्ल्यू, ई-बसों और ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को प्रोत्साहित किया।
भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (पीएलआई-ऑटो): सरकार ने 23 सितंबर, 2021 को भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए इस योजना को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के लिए भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना है, जिसका बजटीय परिव्यय ₹25,938 करोड़ है। इस योजना में न्यूनतम 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के साथ एएटी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रस्ताव है।
उन्नत रसायन सेल (एसीसी) के लिए पीएलआई योजना: सरकार ने 12 मई, 2021 को देश में एसीसी के विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी, जिसका बजटीय परिव्यय ₹18,100 करोड़ है। इस योजना का उद्देश्य 50 गीगावॉट घंटे की एसीसी बैटरियों के लिए एक प्रतिस्पर्धी घरेलू विनिर्माण इको सिस्टम स्थापित करना है।
पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट योजना (पीएम ई-ड्राइव): 10,900 करोड़ के बजटीय समर्थन वाली इस योजना को 29 सितंबर, 2024 को अधिसूचित किया गया था। यह दो साल की योजना है और इसका उद्देश्य ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-ट्रक, ई-बस, ई-एम्बुलेंस, ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और परीक्षण एजेंसियों के उन्नयन सहित इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन करना है।
पीएम ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा तंत्र (पीएसएम) योजना: 28 अक्टूबर, 2024 को अधिसूचित इस योजना का परिव्यय ₹3,435.33 करोड़ है और इसका उद्देश्य 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती का समर्थन करना है। इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (पीटीए) द्वारा भुगतान में चूक की स्थिति में ई-बस ऑपरेटरों को भुगतान सुरक्षा प्रदान करना है।
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 15 मार्च, 2024 को भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएमईपीसीआई) अधिसूचित की गई थी। इसके लिए आवेदकों को न्यूनतम 4150 करोड़ों रूपये का निवेश करना होगा तथा तीसरे वर्ष के अंत में न्यूनतम 25 प्रतिशत और पांचवें वर्ष के अंत में 50 प्रतिशत का डीवीए प्राप्त करना होगा।
अन्य मंत्रालयों द्वारा उठाए गए कदमों में निम्नलिखित शामिल हैं:
विद्युत मंत्रालय ने 17 सितंबर 2024 को “इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अवसंरचना की स्थापना और संचालन के लिए दिशानिर्देश-2024” शीर्षक से ईवी चार्जिंग अवसंरचना के लिए दिशानिर्देश और मानक जारी किए हैं। ये संशोधित दिशानिर्देश देश में एक कनेक्टेड और इंटरऑपरेबल ईवी चार्जिंग अवसंरचना नेटवर्क बनाने के लिए मानकों और प्रोटोकॉल को रेखांकित करते हैं। ये दिशानिर्देश ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए विद्युत कनेक्शन की सुविधा भी देते हैं
वित्त मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की है कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को ग्रीन लाइसेंस प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी। मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर राज्यों को ईवी पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मॉडल बिल्डिंग बाय-लॉज में संशोधन किया है, जिसने निजी और व्यावसायिक भवनों में चार्जिंग स्टेशन होना अनिवार्य बना दिया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है, जिसमें देश भर में पुराने, अनुपयुक्त प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक इको सिस्टम बनाने के लिए प्रोत्साहित/निरूत्साहित करने वाली व्यवस्था शामिल है।
भारी उद्योग मंत्रालय में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। हालाँकि, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों का समर्थन करने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं।
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटि में लिथियम बैटरियों का उपयोग
खान मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, उन्होंने नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (एनएएलसीओ), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) के इक्विटी योगदान के साथ एक संयुक्त उद्यम कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) की स्थापना की है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी खनिज संपदा की पहचान करना और उनका अधिग्रहण करना है जो महत्वपूर्ण और रणनीतिक महत्व रखते हैं, विशेष रूप से लिथियम, कोबाल्ट और इसी तरह के अन्य खनिजों को लक्षित करते हैं। केएबीआईएल ने अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉक के अन्वेषण और खनन के लिए अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत के एक सरकारी स्वामित्व वाले उद्यम सीएएमवाईईएन के साथ एक अन्वेषण और विकास समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। केएबीआईएल महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज संपदा को अधिग्रहण करने के प्राथमिक उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया में स्थित महत्वपूर्ण खनिज कार्यालय के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।
केंद्र सरकार ने देश में उन्नत रसायन सेल (एसीसी), बैटरी स्टोरेज के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने करने हेतु 12 मई, 2021 को राष्ट्रीय उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज कार्यक्रम (पीएलआई एसीसी योजना) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाकर भारत में आयातित एसीसी पर निर्भरता को कम करना है और भारत में प्रतिस्पर्धी एसीसी बैटरी सेट-अप स्थापित करने में बड़ी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित करने के विचार को भी ध्यान में रखा गया है।
इस योजना का बजटीय परिव्यय दो वर्ष के शुरूआती चरण के बाद 5 वर्ष की अवधि के लिए 50 गीगावाट घंटा की संचयी क्षमता हेतु 18,100 करोड़ रूपये है। इस योजना में लाभार्थी फर्मों द्वारा प्रति किलोवाट घंटा उद्धृत सब्सिडी और निर्माताओं के लिए वास्तविक बिक्री पर प्राप्त मूल्य संवर्धन के प्रतिशत के आधार पर प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। लाभार्थी फर्मों को नियत तिथि यानी माइलस्टोन-1 से 2 वर्षों के भीतर (मदर यूनिट स्तर पर) कम से कम 25 प्रतिशत का मूल्य संवर्धन प्राप्त करना सुनिश्चित करना चाहिए और नियत तिथि यानी माइलस्टोन-2 से 5 वर्षों के भीतर इसे 60 प्रतिशत मूल्य संवर्धन तक बढ़ाना चाहिए। लाभार्थी फर्मों द्वारा माइलस्टोन-I प्राप्त करने के बाद आवंटित निधियों का निष्पादन और प्रोत्साहन वितरण शुरू होगा।
भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (एफएएमई इंडिया) योजना चरण-II (एफएएमई II) 1 अप्रैल, 2019 से 5 वर्षों की अवधि के लिए लागू किया गया था, जिसके लिए कुल 11,500 करोड़ रूपये का बजटीय समर्थन दिया गया था। एफएएमई इंडिया योजना चरण-II के तहत, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों, इसकी असेंबली/सब-असेंबली और पार्ट्स/सब-पार्ट्स का घरेलू विनिर्माण करना था।
सरकार ने 15 सितंबर, 2021 को भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों सहित उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के लिए भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना है, जिसका बजटीय परिव्यय 25,938 करोड़ रूपये है। इस योजना में न्यूनतम 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के साथ एएटी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रावधान है।
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
फेम स्कीम का चरण-III
हालांकि, भारी उद्योग मंत्रालय ने 29 सितंबर, 2024 को पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना को अधिसूचित किया है। इस योजना का परिव्यय 10,900 करोड़ रुपये है। यह दो साल की योजना है जिसका उद्देश्य ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-ट्रक, ई-बस, ई-एम्बुलेंस, ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन और परीक्षण एजेंसियों के उन्नयन सहित इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है।
सरकार ने प्राप्त इनपुट का पूर्वाकलन किया है और फेम योजना के पहले दो चरणों के मुद्दों को हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। 29 सितंबर 2024 को अधिसूचित पीएम ई-ड्राइव योजना में मुद्दों का समधान किया गया है। ये इस प्रकार हैं:
आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों के हिस्सों के स्थानीय स्तर पर निर्माण हेतु चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा।
ओईएम द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
वित्तीय मामलों में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए आवेदक ओईएम से सत्यनिष्ठा समझौते के रूप में वचन लिया जा रहा है।
पीएमपी के अनुपालन की जांच के लिए परीक्षण एजेंसियों द्वारा वार्षिक स्ट्रिप डाउन टेस्ट/आवधिक निगरानी मूल्यांकन (पीएसए) किया जाएगा।
फेम इंडिया स्कीम चरण-II के तहत पिछले पांच वर्षों के दौरान दिल्ली के लिए 1,321 इलेक्ट्रिक बसें आवंटित की गई हैं। फेम-II स्कीम के तहत केरल राज्य के लिए कोई इलेक्ट्रिक बस आवंटित नहीं की गई है।
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।