शासकीय कर्मचारी से संबंधित तीन सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों का हाई कोर्ट द्वारा समाधान पढ़िए
मध्य प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों के वेतन निर्धारण, वेतन निर्धारण में गलती और उसके बाद वेतन अथवा पेंशन से वसूली के मामले में जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश द्वारा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है। अधिवक्ता श्री अमित शर्मा ने इस मामले में अंतिम बिंदु तक लड़ाई लड़ी और माननीय हाईकोर्ट के माध्यम से स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करवाया।
मामला क्या था – कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या
मध्य प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के पहले एक डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। इस वचन पत्र कहते हैं। इसमें लिखा होता है कि यदि शासन ने उनका वेतन निर्धारण करने में कोई गलती की तो उनके वेतन से वसूली की जाएगी और यदि शासन को अपनी गलती पकड़ने में देरी हो गई तो उनकी पेंशन से वसूली की जाएगी। इस वचन पत्र के कारण विवाद की स्थिति बन जाती थी और हाईकोर्ट में अब तक हजारों मामले प्रस्तुत हुए। सब की कहानी एक जैसी थी, केवल पीड़ित कर्मचारी अथवा पेंशनर का नाम बदल जाता था। इस मामले में पिछले दिनों मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुना दिया गया था परंतु चीफ जस्टिस अध्यक्षता वाली फुल बेंच के समक्ष, वर्ष 2018 से कर्मचारियों से होने वाली वसूली से उद्भूत तीन बिंदु, निर्णय हेतु लंबित थे, और यही तीनों बिंदु विवाद का सबसे बड़ा कारण बनते थे।
8 दिसंबर 2023 से फैसला सुरक्षित था
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, माननीय रवि मलीमठ (अध्यक्ष) सदस्य, माननीय जस्टिस श्री विशाल मिश्रा, सदस्य माननीय जस्टिस श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल तीन सदस्यो वाली फुल बेंच के समक्ष, हाई कोर्ट जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने सभी बिन्दुओं पर कर्मचारियों का पक्ष रखा था। अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के बताया कि 8 दिसंबर 2023 को बहस पूरी होने के बाद, फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को बताया कि यह फैसला अब सुना दिया गया है।
हाई कोर्ट की फुल बेंच ने क्या फैसला दिया, पढ़िए
प्रश्न क्रमांक 1 – इंडेमनिटी बॉन्ड (क्षतिपूर्ति बंध), जो कि रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों से लिया जाता है, उसके आधार पर, शासन कर्मचारी से वसूली कर सकता है या नही?
हाई कोर्ट का फैसला – रिटायरमेंट के समय कर्मचारी से लिए गए, वचन पत्र के आधार, पुराने गलत वेतन निर्धारण की वसूली नही की जा सकती है। वेतन या पेंशन से वसूली एवम वसूली से उत्पन्न कठिनाइयों का निराकरण, सुप्रीम कोर्ट द्वारा रफीक मसीह एवम सैयद अब्दुल कादिर के निर्णय को ध्यान में रखा जायेगा।
प्रश्न क्रमांक 2 – पेंशन नियम 1976 का नियम 65 शासन को रिटायर्ड कर्मचारी से वसूली का अधिकार प्रदान करता है या नही ?
हाई कोर्ट का फैसला – पेंशन नियम 1976 के नियम 65 के अनुसार, या पालन में कर्मचारी के पुराने त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण के आधार पर, वसूली नही होगी।
प्रश्न क्रमांक 3 – वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से प्राप्त बाध्यकारी अंडरटेकिंग या वचन पत्र के आधार पर कर्मचारी से वसूली हो सकती या नही?
हाई कोर्ट का फैसला – वेतन निर्धारण या वेतन भत्ते या वेतन वृद्धि प्रदान करते समय, कर्मचारी से बाध्यकारी परिस्थितियों में या बलपूर्वक लिए गए वचन पत्र (वसूली हेतु) के आधार पर, वसूली नही की जा सकती है।
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