बचपन पर पढ़ाई का नहीं पड़ेगा बोझ: बच्चों के लिए इस दिन स्कूल में होगा फन डे, नहीं ले जाना होगा बैग


शब्बीर अहमद, भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। महीने में अब एक शनिवार को बैग लैस डे रहेगा। कक्षा छठवीं से आठवीं तक के स्कूलों में महीने में कम से कम एक शनिवार को भारी भरकम बस्ता ले जाने से मुक्ति मिलेगी। इस दिन पढ़ाई के अलावा विभिन्न सांस्कृतिक, साहित्यिक और व्यवहारिक गतिविधियों की करवाई जाएगी। शिक्षा विभाग ने बच्चों के अंदर से तनाव को खत्म करने के लिए यह फैसला लिया है। 

राज्य शिक्षा केन्द्र ने जारी किए निर्देश 

बैगलेस डे को लेकर राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला शिक्षाधिकारियों और जिला परियोजना समन्वयक को निर्देश जारी किये हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में यह प्रावधान रखा गया है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे 21वीं सदी के कौशल से परिचित हो सकें। इसके लिए कक्षा-6 से 8 तक के स्कूल के बच्चों के लिये प्रत्येक माह में न्यूनतम एक शनिवार को बस्ते-विहीन दिवस का आयोजन हों। इन दिनों में विद्यार्थियों को व्यावहारिक कौशल की जानकारी दी जाए।

प्राचार्य एवं शिक्षकों को दिए कैलेंडर तैयार करने के निर्देश

बैगलेस-डे के लिए शाला के प्राचार्य एवं शिक्षकों को चर्चा कर गतिविधियों का कैलेंडर तैयार करने के लिये भी कहा गया है। गतिविधियों की जानकारी “एचडी जिओ टैगी फोटोग्रॉफ’’ राज्य शिक्षा केन्द्र के ईमेल आईडी [email protected] पर भेजने के लिये कहा गया है।

क्या है उद्देश्य ?

बैगलेस-डे का उद्देश्य विद्यार्थियों को सफल, नवाचारी और जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना है। इसी के साथ विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, साक्ष्य आधारित सोच और रचनात्मकता का विकास करना है। विद्यार्थियों में संवाद, विचार अभिव्यक्ति, स्वास्थ्य एवं पोषण, खेल सहयोग की भावना और नेतृत्व गुण के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा और पर्यावरणीय चेतना का विकास करना प्रमुख है। 

बैगलेस-डे में होने वाली गतिविधियां 

राज्य शिक्षा केन्द्र ने बैगलेस-डे में होने वाली गतिविधियों के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किये हैं। 

आर्ट और क्राफ्ट में बच्चों के बीच में ड्राइंग, पेंटिंग, मिट्टी के खिलौनों का निर्माण, मुखौटे, डॉल-मेकिंग और अनुपयोगी सामग्री से वस्तुओं का निर्माण प्रमुख है। 

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में बच्चों के बीच लोकगीत-नृत्य, लघु नाटिका, कविता पाठ, कहानी लेखन गतिविधियां की जाए। 

बच्चों को खेती की आधुनिक पद्धतियों की जानकारी हो सके, इसके लिये पॉली फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग, औषधीय पौधों की जानकारियां और खेती में उपयोग होने वाले आधुनिक उपकरणों की जानकारी दी जाए। 

स्थल भ्रमण भी कराया जाए, बच्चों को ऐतिहासिक स्थलों, लघु उद्योग व्यवसाय, जिनमें मधुमक्खी-पालन, मुर्गी एवं मछली-पालन इत्यादि की जानकारी दी जाए। 

बच्चों को स्थानीय बैंक, पुलिस थाना, अस्पताल और अनाज मंडी का भ्रमण कराया जाए। 

बच्चों को हथकरघा, खिलौने निर्माण जैसी इकाइयों का भ्रमण कराया जाए। 

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