VIT यूनिवर्सिटी की बढ़ी मुश्किलें: छात्राओं के MMS लींक मामले में होगी जांच, राज्यपाल ने बनाई कमेटी


अमित मंकोडी, आष्टा। VIT यूनिवर्सिटी के छात्रावास की छात्राओं का नहाते हुए वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद छात्राएं मानसिक तनाव से गुजर रही हैं. इस मामले की जब प्रबंधन को शिकायत की गई तो प्रबंधन ने 6 दर्जन से अधिक छात्र-छात्राओं को निलंबित कर दिया. जिसमें एक दर्जन को स्थाई निलंबन और अन्य को 6 महीने और बारह महीने के लिए निलंबित कर अध्ययन करने से वंचित कर दिया.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस मामले को उठाया था. चेतावनी के के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई तो उन्होंने यूनिवर्सिटी के गेट पर धरना दिया. प्रबंधन ने पालकों को बुलाकर दबाव बनाने का प्रयास कर उनके बच्चों का भविष्य खराब करने की बात कही. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. कई बार इस प्रकार प्रबंधन मनमानी कर चुका है. वहीं अब इस मामले को लेकर राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने चार सदस्यीय जांच समिति बनाई है. जांच समिति 13 बिंदुओं पर जांच करेगी.

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सूत्रों के अनुसार, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने निर्धारित छात्र पंजीयन एडमिशन संख्या शुल्क, निर्धारित फीस स्ट्रक्चर ,हॉस्टल, कैंटीन, संचालित कोर्स को मान्यता और किस-किस संकाय में एडमिशन है और उनकी फैकल्टी की नियुक्ति में काफी गड़बड़ियां पकड़ी है. यूनिवर्सिटी में आयोग द्वारा कुलगुरु की नियुक्ति भी अयोग्य करार दी है. इन सभी मामलों की शिकायत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राज्यपाल से की थी.

राज्यपाल ने इस मामले में आयोग को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद चार सदस्य जांच कमेटी गठित की गई. कमेटी का अध्यक्ष हमीदिया कॉलेज के प्रोफेसर अनिल शिवानी को बनाया है. अन्य सदस्यों में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ संगीता जैन, एमबीएम कॉलेज भोपाल के प्रोफेसर संजय दीक्षित और भेरुलाल पाटीदार पीजी कॉलेज महू के प्रोफेसर मनोहर दास सोमानी के नाम शामिल हैं. जांच के आदेश आयोग के सचिव प्रोफेसर केपी साहू ने दिए हैं.

वीआईटी में पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं है. छात्रों को पानी बाहर से खरीदना पड़ता है और विरोध करने पर उन्हें धमकाकर सस्पेंड कर दिया जाता है. कई बार अत्याधिक पेनल्टी भी लगाई जाती है. विश्वविद्यालय में छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे परेशान होकर कुछ विद्यार्थी आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुए हैं. हनुमान चालीसा पढ़ने पर छात्रों पर जुर्माना लगाया जाता है और धमकाया जाता है. उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता है. जो व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है उक्त बिदुओं पर कमेटी जांच करेगी.

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