MPTET VARG 3, CTET PAPER 1 CDP NOTES-22 IN HINDI
एमपी टेट पेपर वर्ग 3 और सीटेट पेपर 1 के सिलेबस के क्रम में आगे बढ़ते हुए अगला टॉपिक है वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव (Influence of Heredity & Environment) इससे पहले के टॉपिक को पढ़ने के लिए कृपया Google करें BhopalSamachar.com MPTET VARG 3,CTET PAPER 1 CDP NOTES 1 TO 21 IN HINDI जहां से आपको टॉपिक वाइज, नंबर वाइज NOTES 1 से लेकर 21 तक के नोट्स प्राप्त हो जाएंगे।
MPTET VARG 3/ CTET PAPER 1 TOPIC -पियाजे,पावलव, कोहलर और थार्नडाइक: रचना एवं आलोचनात्मक स्वरूप(Piaget, Pavlov, Kohler and Thorndike: Construction and critical aspects)
मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 3 एवं CTET PAPER 1 बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (CDP, Child Development and Pedagogy) के के अंतर्गत जीन पियाजे,पावलव,कोहलर और थार्नडाइक के अनुसार रचना एवं आलोचनात्मक स्वरूप के बारे में चर्चा करेंगे। जिसमें से आज हम जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की चर्चा करेंगे।
Factors Affecting the Jean Piaget’s Cognitive Development
जैसा कि हम जानते हैं कि जीन प्याजे ने बहुत से क्षेत्रों में काम किया। उन्हें स्विस साइकोलॉजिस्ट, बायोलॉजिस्ट,संरचनावादी (Rediacl Contructivist), ज्ञान मीमांसा (Jean Episteomology) ,फादर ऑफ़ चाइल्ड साइकोलॉजी आदि के लिए जाना जाता है। जीन पियाजे ने कहा कि बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं कर सकते हैं इसीलिए उन्होंने बच्चों को नन्हे वैज्ञानिक या लिटिल साइंटिस्ट भी कहा। उन्होंने कहा कि डेवलपमेंट एक असतत् (Discontinuous) प्रोसेस है और Child Development की Stages के हिसाब से बच्चे का विकास होता है।
जीन पियाजे के संरचनात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक / Factors Affecting the Jean Piaget’s Cognitive Development Theory
1.जैविक परिपक्वता या बायोलॉजिकल मैचुरेशन( Biological Maturation)
2. भौतिक जगत के साथ अन्योन्य क्रिया( interaction with physical world)
3. सामाजिक जगत के साथ अन्योन्य क्रिया( interaction with social world)
4. सभी के बीच संतुलन बनाना (Equilibrium Among All)
1. जैविक परिपक्वता (Biological Maturation)
इसके अनुसार जब तक बच्चा बायोलॉजिकली डिवेलप नहीं हो जाता, तब तक आप उसे कुछ भी नहीं सिखा सकते। बच्चे को सिखाने के लिए पाठ्यक्रम (Syllabus) उसकी उम्र के हिसाब से ही होना चाहिए। जब जिस चीज को सीखने की उसकी उम्र होगी वह तभी सीखेगा और इसमें “Readiness to Learn” का होना जरूरी है। यानी जब तक बच्चा सीखने के लिए तैयार नहीं है तब तक आप उसे कुछ भी नहीं सिखा सकते। इसलिए सिलेबस का, टेक्स्टबुक्स का, हर चीज का इंटरेस्टिंग होना जरूरी है। तभी बच्चा सीखेगा।
2. भौतिक जगत के साथ अन्योन्य क्रिया (interaction with the physical world)
बच्चा अपने आसपास की चीजों को देखकर, छूकर, खोलकर यहाँ तक की तोड़कर उनसे अपनी समझ बनाने की कोशिश करता है और धीरे-धीरे वह अपनी एक्टिविटी या एक्सपीरियंस से अपने ज्ञान का निर्माण करता है। पर्यावरण शिक्षण शास्त्र( Evs pedagogy) में इसे हैंड्स ऑन एक्टिविटी (learning by activity or Experiment) कहा जाता है। जबकि हम आम तौर पर चीजों को तोड़ने पर बच्चे को डांट देते हैं और उसे अपने physical World को explore करने से रोक देते हैं।
3. सामाजिक जगत के साथ अन्योन्यक्रिया (interaction with social world)
जीन पियाजे ने इसे कम महत्व दिया जबकि वाइगोत्सकी ने इस पर ज्यादा जोर दिया है। इसलिए हम इसकी चर्चा वाइगोत्सकी की थ्योरी में डिटेल में करेंगे।
4. सभी के बीच संतुलन बनाना (Equilibrium Among All) –
यह जीन पियाजे की थ्योरी का सबसे महत्वपूर्ण कारक है जिसमें एक बच्चा अपने द्वंद से निष्कर्ष की ओर पहुंच जाता है। यानी अपने ज्ञान का निर्माण कर लेता है, जिसके लिए एक लंबी प्रोसेस से गुजारना पड़ता है। जिसमें एडेप्टेशन, ऑर्गेनाइजेशन, अकोमोडेशन, एसिमिलेशन, एक्विलिब्रियम, डिसएक्विलिब्रियम, आदि हैं।
Factors affecting the Cognitive Theory of Jean Piaget
जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों में से सबसे महत्वपूर्ण कारक है, सबके बीच संतुलन (Equillibrium Among All) परंतु इस प्रक्रिया या प्रोसेस को समझने से पहले हमें कुछ इंपॉर्टेंट टर्म्स को समझना होगा जो की इस प्रोसेस की स्टेप्स हैं जिसमें एडेप्टेशन, एसिमिलेशन, एकोमोडेशन, एक्विलिब्रियम, डिसएक्विलिब्रियम,आदि हैं।
स्कीमा (Schema) क्या होता है
परंतु इन सब को समझने से पहले एक और इंपॉर्टेंट टर्म है जिसे समझना बहुत जरूरी है। जैसे किसी भी काम को करने के लिए हम कोई योजना बनाते हैं जिसे इंग्लिश में स्कीम (Scheme) कहा जाता है। जब बहुत सारे तरीके की स्कीम्स हमारे दिमाग में, सूचना या information के रूप में इकट्ठा हो जाती हैं, तो इन्हें स्कीमा (Schema) कहा जाता है।
Schema किसे कहते हैं
स्कीमा (Schema) का अर्थ है वह इंफॉर्मेशन जो हमारे /बच्चे के दिमाग में पहले से ही stored है। जिसे इंग्लिश में Diagram, Outline, Model, Schets आदि है। यह आपस में मिलती जुलती इंफॉर्मेशन के सेट्स होते हैं। जैसे हम किसी बुक्शेल्फ में books को जमाते हैं तो एक से सब्जेक्ट की किताबों को एक साथ रखते हैं, अलग Subject की किताबों को अलग रखते हैं। इसी तरह से हमारे ब्रेन में भी कुछ ऐसी स्ट्रक्चर्स बनी हुई हैं। जिनमें कि सिमिलर इनफॉरमेशन स्टोर्ड होती हैं, जिन्हें Schema कहा जाता है।
अनुकूलन या एडप्टेशन (Adaptation)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि अपने आप को किसी चीज के अनुकूल बनाना, जिससे कि हम हम अपने आसपास के वातावरण को आत्मसात (Assimilation) कर सकें और समायोजन (Accomodation) भी बनाया जा सके।
जैसे – नागफनी का पौधा अपने आप को रेगिस्तान में रहने के अनुकूल बना लेता है, जब हम किसी दूसरे के घर जाते हैं तो उसके घर के वातावरण के हिसाब से अनुकूलित हो जाते हैं आदि इसके उदाहरण हैं।
आत्मसातीकरण और समायोजन दोनों अनुकूलन का ही भाग भाग है। साधारण भाषा में कहें तो आत्मसात का अर्थ है चीजों को मिला लेना और समायोजन का अर्थ है एडजस्ट कर लेना।
आइए इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। जिससे कि आपको आगे की दो प्रोसेस संतुलन (Equillibrium) और असंतुलन (Disequillibrium) भी समझ में आ जाएंगी।
जैसे- एक बच्चे ने खिलौने वाला मोबाइल फोन देखा जिसमें छैया छैया छैया गाना बजता था, और यह इंफॉर्मेशन उसके दिमाग में स्टोर हो गई कि यह कोई छोटा सा खिलौना है जिसमें से की आवाजें आती हैं। यानी उसके ब्रेन में Schema बन गया. इसके बाद उसने अपने पापा या मम्मी को छोटे कीपैड वाले मोबाइल पर बात करते देखा तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह क्या हुआ यह तो खिलौना था और खिलौने से कैसे बात कर सकते हैं तो वह कुछ समय के लिए असंतुलन (Disequillirium) की स्थिति में आ गया।
फिर उसने अपने दिमाग के स्कीमा को चेक किया और उसमें नई इनफार्मेशन ऐड की, कि यह खिलौना तो है ही लेकिन इससे बात भी की जा सकती है। इस प्रकार उसने नई इनफार्मेशन को आत्मसात (Assimilate) किया और संतुलन की स्थिति में आ गया और अब वह समझ गया कि अच्छा! यह खिलौना भी होता है और यह बात करने के काम में भी आता है। यानी उसने अपने आप को समायोजित (Accomodate) कर लिया परंतु अब कुछ समय बाद उसने देखा कि इस मोबाइल में तो वीडियो गेम, म्यूजिक भी चल सकता है। अब वह फिर असंतुलन की स्थिति में आयेगा और अपने Schema में अपडेट करेगा, अब फिर से इस नई information को आत्मसात (Assimilate) करेगा और बैलेंस में आएगा और अपने आप को समायोजित (Accomodate) करेगा यानी अपने आपको modify या update करेगा।
फिर कोई नया बदलाव आने पर फिर से यही प्रोसेस होगी इस प्रकार अपने द्वंद से बाहर निकलकर, स्पष्टता की ओर चलता चलेगा और इसी तरह बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण करते जाते हैं। इस टॉपिक से संबंधित प्रश्न उत्तर हम अगले आर्टिकल में डिस्कस करेंगे।✒️ श्रीमती शैली शर्मा (MPTET Varg1(BIOLOGY),2(SCIENCE),3 & CTET PAPER 1,2(SCIENCE)-QUALIFIED
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