गोस्वामी तुलसीदास जी महिला विरोधी थे या नहीं, प्रमाणित करने वाली लड़की डीएसपी बन गई
श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी को कुछ लोग महिला विरोधी बुलाते हैं। कहा जाता है कि उन्होंने “ढोल, गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी” चौपाई के माध्यम से महिलाओं का अपमान किया है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में इंटरव्यू के दौरान यही प्रश्न पूछा गया। जिस लड़की ने अपने तरीके के साथ प्रमाण भी प्रस्तुत किया। वह लड़की (विदिशा की आरती रघुवंशी) डीएसपी बन गई। उसकी ट्रेनिंग कंप्लीट होने वाली है और जल्द ही उसे फील्ड पोस्टिंग मिलने वाली है।
MPPSC 2021 INTERVIEW QUESTION
आरती रघुवंशी का इंटरव्यू 23 अप्रैल 2024 को “हनुमान जयंती” के दिन आयोजित हुआ था। इसलिए स्वाभाविक था कि उनसे इस तरीके का सवाल पूछा जा सकता है और फिर उन्होंने अपनी हॉबी भी बताई कि उन्हें श्री रामचरितमानस पढ़ना काफी पसंद है। तब इंटरव्यू कमेटी के मेंबर ने पूछा कि श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने एक चौपाई में लिखा है की “ढोल, गंवार,शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी” क्या गोस्वामी तुलसीदास जी की इस चौपाई से नारियों का अपमान नहीं होता?
इस पर आरती ने बड़ी ही सरलता के साथ जवाब दिया कि यदि ऐसा होता तो गोस्वामी तुलसीदास जी श्री रामचरितमानस के शुरू में “भवानी- शंकरौ वंदे, श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।” लिखते हुए भगवान शंकर से भी पहले देवी पार्वती की वंदना क्यों करते!
बिलरई वाले मालम सिंह की बेटी है आरती सिंह
आज की कहानी है विदिशा, मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव “बिलरई” की सुश्री आरती रघुवंशी (ROLL NO-106011) की जो की हाल ही में MPPSC 2021 में DSP के पद पर चयनित हुई है। पिता श्री मालम सिंह रघुवंशी, माता श्रीमती सुनीता रघुवंशी ,बड़े भाई ओम रघुवंशी (रेलवे कर्मी) और छोटे भाई हर्ष रघुवंशी (विद्यार्थी), सहित पूरा गांव आरती की प्रशंसा करता है।
MORAL OF THE STORY
किसी भी विषय के पक्ष विपक्ष में अपने विचार तो सभी रखते हैं परंतु जो व्यक्ति विनम्रता पूर्वक और प्रमाण सहित विचार प्रकट करता है। उसकी सफलता सुनिश्चित होती है। आरती रघुवंशी स्वयं एक महिला है। महिलाओं की आत्मनिर्भरता, स्वतंत्रता और सम्मान के लिए वह भी पूरी दृढ़ता के साथ खड़ी होती है। ज्यादातर महिलाएं उपरोक्त चौपाई और माता सीता की अग्नि परीक्षा वाले प्रसंग के कारण गोस्वामी तुलसीदास जी को महिला विरोधी मानती है परंतु आरती रघुवंशी ने सत्य को प्रमाणित करने का साहस दिखाया और इसी कारण उसे सफलता भी मिली।
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