MP प्राथमिक शिक्षक भर्ती – जबरदस्ती ट्राइबल के स्कूलों में भेजे गए अभ्यर्थियों को स्कूल शिक्षा में पोस्टिंग के आदेश


प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020-23 में अनेक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनकी मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित करके उनकी पदस्थापना ट्रायवल वेलफेयर विभाग की शालाओ में कर दी गई है, जबकि याचिकाकर्ताओं द्वारा ट्रायवल वेलफेयर विभाग के एक भी स्कूल को अपनी चॉइस में दर्ज नहीं किया गया था। जिससे व्यथित होकर दो दर्जन से अधिक प्राथमिक शिक्षकों ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से विदिशा निवासी सौरभ सिंह ठाकुर, जबलपुर निवासी वंदना विश्वकर्मा, शिवपुरी निवासी सोनू परिहार, देवास निवासी रोहित चौधरी, सागर निवासी अमन दुबे, कु आकांक्षा बाजपेयी, अलीराजपुर निवासी कु रौनक चौबे, पन्ना निवासी कु मोहिनी डुमे सहित दो दर्जन से अधिक प्राथमिक शिक्षको ने 2023 याचिकाए दायर की गई थी। उक्त समस्त याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ द्वारा की गई। 

याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओ से कम अंक वाले अभ्यर्थियो को उनकी पसंद के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग मे पोस्टिंग कर दी गई है, जबकी याचिकाकर्ता मेरिट मे उच्च स्थान प्राप्त करने से उनकी केटीगिरी अनारक्षित वर्ग मे परिवर्तित करके ट्रायबल वेलफेयर विभाग की शालाओ मे पोस्टिंग की गई है, जबकि याचिकाकर्ताओ ने अपनी चॉइस मे एक भी स्कूल ट्रायवल वेलफेयर का सिलेक्ट नही किया है। कमिश्नर लोक शिक्षण विभाग द्वारा आरक्षण नियमों तथा सुप्रीम कोर्ट रेखांकित मार्गदर्शी सिद्धांतों को ताक पर रखते हुए मनमाने रूप से याचिकाकर्ताओं की पोस्टिंग की गई है। याचिका कर्ताओ द्वारा  मेरिट मे उच्च स्थान प्राप्त करना उनके लिए अभिशाप बना दिया गया है। जबकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंद्रा शाहनी वनाम भारत संघ एवं प्रवीण कुमार कुर्मी वनाम मध्य प्रदेश शासन, रीतेश आर शाह, आलोक पंडित बनाम स्टेट आफ असम, तिरपुरारि शर्मा वनाम रणजीत कुमार तथा सौरभ यादव वनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश सहित सैकड़ो मामलो मे सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी मेरिट मे उच्च स्थान प्राप्त करता है तो उसकी गणना आरक्षित वर्ग मे नही की जाएगी, बल्कि उसे उसकी प्रथम वरीयता क्रम मे अनारक्षित वर्ग मे पोस्टिंग की जाएगी। 

स्कूल शिक्षा विभाग के वकील की दलील एवं हाई कोर्ट का फैसला

तब शासन की ओर से पक्ष रख रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल एवं डिप्टी एडवोकेट जनरल ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के (जस्टिस जीएस अहलूवालिया) के आदेश का हवाला दिया गया, जिससे खंडपीठ ने सरकारी वकीलों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा की मिस्टर सरकारी वकील डिवीजन बैंच पर सिंगल बैंच का फैसला बंधनकारी नही होता। इस बैंच पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला बंधनकारी है। डिवीजन बैंच याचिका कर्ताओ के अधिवक्ताओ के तर्को तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से संतुष्ट होकर उक्त समस्त याचिकाए एलाऊ करके प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग तथा कमिश्नर डीपीआई को कड़े निर्देश देकर 30 दिनों के अंदर याचिका कर्ताओ को उनकी पसंद के जिला मे, ट्रायबल वेलफेयर से स्कूल शिक्षा विभाग के पोस्टिंग करने के आदेश पारित कर दिए गए है। 

विनम्र निवेदन🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। सरकारी नौकरी, प्रतियोगी परीक्षाएं एवं पाठ्यक्रमों, रोजगार एवं शिक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category 3 में career पर क्लिक करें। 





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *