MPTET VARG 3, CTET PAPER 1 CDP NOTES-18 IN HINDI


एमपी टेट पेपर वर्ग 3 और सीटेट पेपर 1 के सिलेबस के क्रम में आगे बढ़ते हुए अगला टॉपिक है वंशानुक्रम एवं वातावरण का प्रभाव (Influence of Heredity & Environment) इससे पहले के टॉपिक को पढ़ने के लिए कृपया Google करें BhopalSamachar.com MPTET VARG 3,CTET PAPER 1 CDP NOTES 1 TO 17 IN HINDI जहां से आपको टॉपिक वाइज, नंबर वाइज NOTES 1 से लेकर 17 तक के नोट्स प्राप्त हो जाएंगे।

 

MPTET VARG 3/ CTET PAPER 1 TOPIC-समाजीकरण प्रक्रियाएं : सामाजिक जगत एवं बच्चे (शिक्षक,अभिभावक,साथी)

Socialization processes: Social world and children (teachers, parents, peers)

मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 3 एवं CTET PAPER 1  बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (CDP, Child Development and Pedagogy) के सामाजिकरण प्रक्रिया नाम के इस टॉपिक में मुख्य रूप से सामाजिक जगत एवं बच्चे और शिक्षक, अभिभावक और साथी की भूमिका के बारे में अध्ययन करेंगे।

जैसा की हम अपने पिछले टॉपिक्स से अब तक जान ही चुके हैं कि एक बच्चे की वृद्धि और विकास उसके जन्म के पहले ही शुरू हो जाता है परंतु उसके सामाजीकरण की प्रक्रिया जन्म के बाद शुरू होती है और जीवनभर चलती रहती है। चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और बिना समाज के किसी भी व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। सामाजिकरण केवल कौशल क्षमता ही प्रदान नहीं करता, बल्कि इसके माध्यम से व्यक्ति जीवन से संबंधित विभिन्न प्रकार के व्यवहार को भी सीखता है जिसमें कि शिक्षक, अभिभावक और साथी सभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

सामाजिकरण के प्रकार – Types of socialization

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से समाजीकरण की प्रक्रिया को दो भागों में बांटा है.

1.प्राथमिक समाजीकरण (Primary Socialization)

2 द्वितीयक या गौण समाजीकरण(Secondary Socialization)

प्राथमिक समाजीकरण क्या होता है WHAT IS PRIMARY SOCIALIZATION

इस अवस्था में एक बच्चा अपने जीवन की शुरुआत करता है (शैशवास्था) प्राथमिक सामाजीकरण के रूप में मुख्य रूप से परिवार, पास-पड़ोस की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। जहां पर बच्चा व्यवहारिक ज्ञान सीखता है।

द्वितीयक समाजीकरण क्या होता है WHAT IS SECONDARY SOCIALIZATION

इस अवस्था में बच्चा अपने विकास की आगे की अवस्था (बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था) में पहुंच जाता है और अब सामुदायिक तरीके से सीखने के व्यवहार को अपनाता है। इस प्रकार के समाजीकरण का माहौल, पास-पड़ोस, स्कूल, खेल का मैदान आदि में उसे मिलता है। जो बालकों को व्यवहारिक रूप से सभ्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक  Agents or Factors affecting the process of socialization

प्राथमिक एवं द्वितीयक समाजीकरण की प्रक्रिया को बहुत से कारक प्रभावित करते हैं- जिनमें मुख्य रुप से परिवार, स्कूल, पाठ्यक्रम, शिक्षा, धर्म, संस्कृति, समाज के नियम, भाषा, मीडिया, साहित्य, मित्रता, आर्थिक स्थिति, वंशानुक्रम, पुरस्कार एवं दंड। यह सभी कारक, कारक होने के साथ-साथ समाजीकरण की प्रक्रिया में भी अपना योगदान देते हैं।

समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले सक्रिय और निष्क्रिय कारक ACTIVE AND PASSISE AGENTS OF AFFECTING THE PROCESS OF SOCIALIZATION

समाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारकों में कुछ कारक ऐसे होते हैं जो सीधे प्रभाव डालते हैं इन्हें सक्रिय कारक (Active agents) कहा जाता है जबकि कुछ कारक ऐसे ऐसे होते हैं जो अपना प्रभाव सीधे नहीं डालते, उन्हें निष्क्रिय कारक (Passive agents) कहा जाता है।

 

बच्चे के सामाजीकरण में अभिभावकों की भूमिका- Role of Parents in the socialization of Children

एक बच्चा जैसे ही जन्म लेता है तो जन्म के तुरंत बाद ही उसका सामाजीकरण होना शुरू हो जाता है। सबसे पहले वह जिस परिवार में जन्म लेता है, उस परिवार का सदस्य बनता है और है और उसका सबसे ज्यादा घनिष्ठ संबंध उसका अपनी मां से होता है। इसी कारण मां को प्रथम शिक्षक और परिवार को प्रथम पाठशाला कहा जाता है।

 

बच्चे के समाजीकरण में शिक्षक की भूमिका- Role of teachers in the Socialization of children

आपने अक्सर छोटे बच्चों को ऐसा बोलते सुना होगा कि “हमारी मैडम ने तो ऐसा कहा है, हम तो यही करेंगे”। एक बच्चा जैसे ही थोड़ा बड़ा होता है, वह स्कूल जाना शुरू कर कर कर देता है। परिवार के बाद बच्चों को विद्यालय में प्रवेश मिलता है और शिक्षक का व्यवहार, आचरण सब कुछ बच्चे को प्रभावित करता है। समाजीकरण के मामले में बच्चे अपने अभिभावकों और शिक्षकों का ही अनुकरण करते हैं। बालकों के सही दिशा में सामाजीकरण हेतु शिक्षक को चाहिए कि वह उनके साथ स्नेह एवं सहानुभूति पूर्ण बर्ताव करें। समाजीकरण की प्रक्रिया को सही गति और दिशा देना शिक्षक का ही काम है। इसके अलावा विद्यालय का वातावरण, पाठ्यक्रम, सहपाठी सभी कुछ बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया में साथियों की भूमिका- Role of Peer Groups in the Socialization of Children

कहा जाता है की संगत का असर, व्यक्ति पर हमेशा रहता है। एक बच्चा जब अपने पास-पड़ोस में जाता है और विद्यालय में जाता है, तो उसके मित्र भी बनते हैं। उसके साथी या सहपाठियों  का प्रभाव भी उसकी सामाजीकरण की प्रक्रिया पर पड़ता है। अपने मित्रों के साथ रहने के लिए, उनकी तरह दिखने के लिये, उनका अनुकरण करता है। विशेष रुप से उत्तर बाल्यावस्था (Late Childhood) जिसे प्री गैंग स्टेज (Pre gang stage) भी कहते हैं। वह अपने समूह या टोली में रहना ही अधिक पसंद करता है और किशोरावस्था (Adolscence) में तो वह अपने साथी समूह (Peer Group) का हिस्सा बनने के लिए ऐसा हर काम करता है जो उसके साथी करते हैं। इसके अलावा खेल, धर्म,जाति ये सब भी समाजीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

टॉपिक का सार-GIST OF THE TOPIC

तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हमारा व्यक्तित्व, हमारे समाज और हमारे खुद के बीच का संबंध बताता है। हम अपने व्यक्तित्व को वैसा ही बनाना चाहते हैं जैसे कि हम दूसरों में देखते हैं यानी समाज हमारे लिए दर्पण का काम करता है। समाजीकरण करने वाली संस्था के रूप में परिवार एवं माता -पिता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कहा जाता है की “मां के त्याग” और “पिता की सुरक्षा” में रहते हुए बच्चा जो कुछ सीखता है, वह उसके जीवन की “स्थाई पूंजी” होती है। परिवार का आकार यानी न्यूक्लियर फैमिली और ज्वाइंट फैमिली भी बच्चे के समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। इस टॉपिक से संबंधित प्रश्नों को हम अगले आर्टिकल में सॉल्व करेंगे। ✒ श्रीमती शैली शर्मा (MPTET Varg1(BIOLOGY),2(SCIENCE),3 & CTET PAPER 1,2(SCIENCE)-QUALIFIED

अस्वीकरण: सभी व्याख्यान उम्मीदवारों को सुविधा के लिए सरल शब्दों में सहायता के लिए प्रस्तुत किए गए हैं। किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते एवं अनुशंसा करते हैं कि आधिकारिक अध्ययन सामग्री से मिलान अवश्य करें।

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