ED से कराई जाएगी ‘स्मार्ट सिटी’ के कामों की जांच, प्रस्ताव पारित, जानिए ग्वालियर नगरीय निकाय ने क्यों लिया फैसला
कमल वर्मा, ग्वालियर। पीएम नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वकांक्षी परियोजना स्मार्ट सिटी पर मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगरीय निकाय ने बड़ा फैसला लिया है. अब स्मार्ट सिटी के कामों की जांच ED यानि प्रवर्तन निदेशालय से कराई जाएगी. यह प्रस्ताव आज ग्वालियर नगर निगम परिषद की बैठक में पास कर दिया गया है. इस प्रस्ताव को बीजेपी-कांग्रेस और महापौर लेकर आए थे. जिसके बाद सभापति ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया. साथ ही आयुक्त को आदेश दिया है कि वो इसे ED मुख्यालय भेजें.
दरअसल, ग्वालियर में स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर देश का पहला फैसला ग्वालियर से लिया गया है. नगर निगम परिषद की बीते चार बैठकों में लगातार स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे. जिसमें कांग्रेस की महापौर, पार्षद और बीजेपी के पार्षद स्मार्ट सिटी कंपनी को घटिया क्वालिटी और अनियमितताओं को लेकर घेर रहे थे. साथ ही स्मार्ट सिटी की सीईओ नीतू माथुर को सदन में बुलाने की मांग कर रहे थे. ऐसे में जब सीईओ नहीं आई तो पार्षदों ने आज फिर हंगामा करना शुरू कर दिया. जिसके बाद सभापति ने कंपनी के लिए प्रस्ताव मांग लिया.
इसके बाद नगर निगम परिषद की बैठक में कांग्रेस-बीजेपी पार्षदों के साथ-साथ महापौर और नेता प्रतिपक्ष ने स्मार्ट सिटी के कामों की लिस्ट के साथ एक प्रस्ताव निगम सभापति मनोज तोमर को सौंपा. जिसमें स्मार्ट सिटी के अब तक जितने भी काम ग्वालियर शहर में किए गए. जिन कामों की जांच ED से कराने की मांग कर दी. जिसे सभापति ने पास कर दिया. साथ ही परित प्रस्ताव को निगम आयुक्त अमन वैष्णव को आदेश दिया है और कहा गया है कि वो इस परित प्रस्ताव को ED प्रवर्तन निदेशालय भेज दें. वहीं निगम में जो लाइट्स पार्षदों की मौलिक निधि से खरीदी गई है. उसकी जांच EOW से कराने के आदेश दिए गए हैं.
गौरतलब है कि PM नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी योजना में ग्वालियर का चयन 2017 में किया गया था. इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी भी बनाई गई. इसके तहत बोर्ड को राज्य सरकार के माध्यम से हेरिटेज को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट तैयार करके भारत सरकार को भेजे गए. जिसके तहत इनके लिए 1000 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई. जिसमें स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत थीम रोड, चौपाटी, हुजरात मार्केट का निर्माण के अलावा महाराजवाड़ा सहित ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार, शहर में मल्टीलेवल पार्किंग, टाउन हॉल का विकास सहित अनेक विकास काम किए गए है.
ग्वालियर की स्मार्ट सिटी के अधूरे पड़े 218 करोड़ के प्रोजेक्ट के काम बीच में ही अटके हैं. बता दें कि स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर नगर निगम के साथ-साथ सड़कों पर कांग्रेस भी है. क्योंकि आज सुबह ही कांग्रेस ने स्मार्ट सिटी के दफ्तर को घेरा था. वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर नाराजगी जता चुके है. ऐसे में अब देखना होगा कि जो प्रस्ताव ग्वालियर नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के खिलाफ पास किया है. साथ ही उसे ED के पास भेजा जा रहा है. उस पर प्रवर्तन निदेशालय क्या एक्शन लेता है.
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