BNS 238 – किस प्रकार अपराधी को बचाने झूठे साक्ष्य देने पर कितनी सजा होती है, जानिए
अगर कोई व्यक्ति अपराध के साक्ष्यों को मिटा देता है या किसी अपराधी को बचाने के लिए झूठ साक्ष्य पेश करता है, तब कोर्ट ऐसे व्यक्ति को किस कानून के अंतर्गत दण्डित करेगा और किस प्रकार की अपराधी को बचाने का प्रयास करने पर कितनी सजा होती है, जानिए :-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 238 की परिभाषा
अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को बचाने के लिए मिथ्या सूचना देना :- जो कोई, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप, इस आशय से कारित करता है कि अपराधी को विधिक दंड से बचाया जा सके या उस आशय से उस अपराध से संबंधित कोई ऐसी सूचना देता है जिसमें आरोपी बच सके तब वह व्यक्ति BNS की धारा 238 के अंतर्गत दोषी होगा। सरल शब्दों मे कहे तो जो कोई व्यक्ति अपराध के साक्ष्य को छिपाता है या अपराधी को बचाने के लिए मिथ्या सूचना देता है, वह दंडित किया जाएगा।
उदाहरण के लिए :
1. सलीम ने अपने मित्र के अपराध के साक्ष्य को छिपाया।
2. जोसेफ ने पुलिस को मिथ्या सूचना दी कि अपराधी कहीं और है।
इस अपराध के होने के अवश्यक तत्व निम्न है:-
1. कोई अपराध हुआ होना चाहिए।
2. आरोपी यह जानता है कि अपराध हुआ था और उसे इसका पर्याप्त कारण भी मालूम था।
3. अगर के तथ्यों के बारे में पता होने के बाद भी झूठी जानकारी दी है।
4. आरोपी ने अपराध के साक्ष्यों को गायब किया हो या नष्ट किया हो।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 238 Provision of punishment
“यह अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनों प्रकार के होते हैं एवं यह जमानतीय अपराध होते हैं, अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर भी दर्ज हो सकती है एवं इस अपराध के लिए परिवाद भी न्यायालय में लगाया जा सकता है एवं यह अपराध समझोता योग्य नहीं होते हैं अर्थात राजीनामा नहीं किया जा सकता है।
सजा- इस धारा के अपराध के दंड को तीन भागों में बांटा गया है :-
1. ऐसे अपराध के साक्ष्यों को नष्ट किया है जिस अपराध को सजा मृत्यु दण्ड है तब आरोपी को सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। यह अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनों प्रकार का होगा एवं इस अपराध की सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा होगी।
2. अगर आजीवन कारावास से 10 वर्ष से दण्डित अपराध को जानकारी को विलोपित किया है या नष्ट किया है तब आरोपी को तीन वर्ष को कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। एक यह अपराध असंज्ञेय होगा एवं मामले की सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
3. यदि अपराध 10 वर्ष से कम का है तब आरोपी को उस अपराध की अधिकतम सजा के एक चौथाई भाग से दण्डित किया जाएगा। यह अपराध असंज्ञेय होगा एवं मामले की सुनवाई उसी न्यायालय में होगी जहा पहले का कोई अपराध विचारणीय है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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