MPTET VARG 3, CTET PAPER 1 CDP NOTES-13 IN HINDI


बाल विकास की अवधारणा और इसका अधिगम से संबंध (CONCEPT OF CHILD DEVELOPMENT AND ITS RELATION WITH LEARNING)। परंतु बाल विकास की अवधारणा को समझने से पहले वृद्धि, परिपक्वता, विकास, अधिगम को समझना आवश्यक है। बाल विकास की अवधारणा को शुरू करने के लिए यह सभी नींव की तरह से काम करेंगे। यदि आप नियमित नहीं है तो कृपया इस टॉपिक को पढ़ने से पहले इसी आर्टिकल में दी गई लिंक पर क्लिक करके पुराने टॉपिक को अवश्य पढ़े, जिससे आप बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र को समझने के लिए अपनी समझ को बेहतर बना पाएंगे। इस लिंक (CLICK HERE) पर क्लिक करते ही आपको 10 नोट्स एक साथ मिल जाएंगे जहां से आप बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र से संबंधित PREVIOUS TOPICS को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। यहां क्लिक करके बाल विकास के सिद्धांतों को समझ सकते हैं और यहां क्लिक करके बाल विकास के सिद्धांतों से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल कर सकते हैं। यदि आप नियमित पढ़ रहे हैं तो चलिए अगले टॉपिक की ओर बढ़ते हैं।

MPTET VARG 3 TOPIC -बालकों का मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार संबंधी समस्याएं

Mental health and behavioural problems of children

जैसा की हम जानते ही हैं की शरीर और मन का बड़ा घनिष्ठ संबंध संबंध है। एक कहावत भी है की “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है”  यानी ” A healthy mind lives in a healthy body. ” मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य व्यक्ति की प्राकृतिक इच्छाओं का दमन करना नहीं है बल्कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करना है जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हुए जीवन बिता सके। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास का विकास होता जा रहा है, वैसे वैसे मनुष्य का जीवन जटिल होता जा रहा है। उसकी प्राकृतिक इच्छाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण मनुष्य के मन में असंतोष उत्पन्न होने लगा है और अब वह मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने लगा। इसी कारण  ऐसे स्वास्थ्य विज्ञान की आवश्यकता हुई जिसका संबंध मन के साथ हो, इसी कारण मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का जन्म हुआ।

मानसिक स्वास्थ्य का क्या अर्थ है / what is the meaning of Mental Health Health

मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के प्रमुख प्रवर्तक डब्लू  क्लिफोर्ड बियर्स (W. Clifford Bears) हैं और उन्होंने अपनी एक बुक “ए माइंड डेट फाउंड इटसेल्फ” में इसका वर्णन किया है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके द्वारा हम मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखते हैं तथा पागलपन और स्नायु संबंधी रोगों को पनपने से रोकते को पनपने से रोकते हैं। साधारण स्वास्थ्य विज्ञान में केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है परंतु मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी सम्मिलित किया किया जाता है क्योंकि बिना शारीरिक स्वास्थ्य के मानसिक स्वास्थ्य संभव नहीं हो सकता।

गौरतलब है कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) सभी का होता है परंतु मानसिक अस्वस्थता(Mental illness) एक बीमारी है जिसका उपचार होना जरूरी होना जरूरी है और शिक्षक बनने से पहले सनद रहे कि बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षक ,शिक्षण प्रक्रिया, पाठ्यक्रम,विद्यालय का माहौल, सबका प्रभाव पड़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य के नियम / Laws of Mental Health Health  

चूँकि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मन से भी है और किसी के  मन के बारे में सबसे अच्छी सूचना संवेग (Emotions) ही देते हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ संवेगों के द्वारा ही मापा जाता है। मैक्डूगल ने मूल संवेगों की संख्या 14 मानी है और इन्हें तीन भागों में विभाजित किया है।

1) आत्म रक्षा संबंधी संवेग( Self defensive  emotions)

2) सामाजिक जीवन संबंधी संवेग ( Social Life Emotions)

3) जाति रक्षा संबंधी संवेग( Race defensive emotions)

आत्मरक्षा संबंधी संवेगों में भूख, प्यास, भागने और लड़ने की मूल प्रवृत्तियां पाई जाती हैं जाती मूल प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। दूसरे भाग में सामूहिकता, आत्मगौरव  जैसी मूल प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। तीसरे भाग में काम एवं शिशु सुरक्षा (Sex and Parental instints) संबंधी प्रवृतियां पाई जाती हैं। इन प्रवृत्तियों को क्रमशः प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक आवश्यकता भी कहा जा सकता है।

बाल मन को स्वस्थ रखने के लिए उसकी मूल प्रवृत्तियों का दमन नहीं करना चाहिए कई बार मूल प्रवृत्तियों मूल प्रवृत्तियों की अभिव्यक्ति ना होने के कारण बच्चे निष्क्रिय हो जाते हैं और बालक की जो अतृप्त इच्छा इच्छा अचेतन मन में दबी रहती है वह “भावना ग्रंथि” “Emotional Gland” बन जाती है और वह किसी ना किसी रूप में बाहर जरूर आती है। इसे ही मानसिक अस्वस्थता कहा जाता है।

 

चेतन और अवचेतन मन Conscious & Unconscious Mind

सिगमंड फ्रायड (Sigmond Freud) ने “मन की तुलना समुद्र में तैरते हुए बर्फ के टुकड़े से की है”,जिस तरह समुद्र में बर्फ का केवल दसवां भाग ही दिखाई देता है क्योंकि बाकी का भाग जल के अंदर रहता है। उसी तरह हमारे मन का केवल दसवां भाग चेतन (Conscious) कहलाता है और बाकी का भाग अवचेतन (Unconscious) होता है और कभी-कभी जब बर्फ का टुकड़ा उल्टा हो जाता है तो पानी के अंदर वाला भाग ऊपर आ जाता है, ठीक इसी प्रकार कोई मनुष्य या बच्चा जब आंतरिक मानसिक अंतर्द्वंद (Mental Conflict) का शिकार होता है तब उसके अवचेतन मन का कुछ भाग ऊपर चेतना में आ जाता है। जो कि मानसिक अस्वस्थता (Mental Illness) के रूप में दिखाई देता है।

मानसिक अस्वस्थता के कारण – Reasons of mental illness

वे सभी कारक कारक जो किसी बच्चे के विकास को प्रभावित करते हैं जैसे- अनुवांशिकता, वातावरण, सामाजिक- आर्थिक स्थिति, शारीरिक अवस्था, संवेगात्मक अवस्था, पारिवारिक  वातावरण, विद्यालय का वातावरण, शिक्षक का व्यवहार आदि ये सभी कारक मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

1) परिवार संबंधी कारणों में मुख्य रूप से परिवार का वातावरण, गरीबी, कठोर अनुशासन,  परिवार के सदस्यों के लड़ाई- झगड़े, माता-पिता की शिक्षा आदि हैं।

2) विद्यालय संबंधी कारणों में विद्यालय का वातावरण, कक्षा का वातावरण, अनुपयुक्त पाठ्यक्रम, दोषपूर्ण शिक्षण विधियां, अध्यापक का व्यक्तित्व, मित्रों का व्यवहार आदि प्रमुख हैं।

विद्यालय, शिक्षक और मानसिक स्वास्थ्य School, Teacher and Mental Health

शिक्षा शास्त्रियों का मानना है कि घर के बाद  विद्यालय या स्कूल ही वह जगह है, जहां बच्चे सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, इसलिए शिक्षक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। स्कूलों द्वारा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत करने के लिए कई प्रकार की विधियां अपनाई जानी चाहिए।ऐसा आम तौर पर कहा जाता है कि बच्चे अपने बराबर के बच्चों के बीच बहुत जल्दी सीखते हैं। इसीलिए विद्यालय उन्हें एक ऐसा वातावरण उपलब्ध कराता है जहां बच्चे अपने हम उम्र बच्चों (Peer Group) के साथ सीख सकते हैं। बच्चे अपने दोस्तों को अपनी सभी समस्याएं आसानी से बता पाते हैं और ऐसे में शिक्षक की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारी रखने वाला अध्यापक बच्चों में पाई जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगा लेगा और उनका उचित उपचार भी किया जा सकेगा। इसलिए एक योग्य अध्यापक का कार्य है कि वह बच्चों में पाई जाने वाली किसी भी किसी भी किसी भी प्रकार की मानासिक अस्वास्थ्ता का पता लगाकर उसका निदानात्मक उपचार भी करें।

अध्यापक को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का अध्ययन होने से बच्चों को क्या लाभ होगा

अध्यापक और मनोचिकित्सक (Teacher and Psychiatric) एक ही समस्या को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं।  एक शर्मिला और डरपोक बालक अध्यापक के लिए कोई समस्या नहीं खड़ी करता इसलिए उस पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और जो बालक लड़ाई-झगड़ा करता है उसकी ओर अधिक ध्यान दिया जाता है परंतु मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान जानता है कि लड़ने-झगड़ने वाले बालक को तो जल्दी ठीक किया जा सकता है परंतु जो बालक शर्मिला और डरपोक है उसके ठीक होने में काफी देर लग सकती है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के अध्ययन से अध्यापक को एक नवीन दृष्टिकोण प्राप्त हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारी रखने वाला अध्यापक जिन बच्चों का उपचार स्वयं नहीं कर सकता वह उन्हें किसी मनोचिकित्सक के पास अथवा किसी और उपचारआलय में भेज सकता है, इससे बहुत से बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी।

इस टॉपिक से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हम अगले आर्टिकल में सॉल्व करेंगे।

टॉपिक का सार-GIST OF THE TOPIC

एक आदर्श शिक्षक का काम है की वह सभी बच्चों को एक ही नजर से देखें। चाहे बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो या शारीरिक रूप से परंतु शिक्षक के देखने के नजरिए में अंतर नहीं होना चाहिए।  इसलिए शिक्षक बनने से पहले बालकों के “मानसिक स्वास्थ्य” के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। ✒ श्रीमती शैली शर्मा (MPTET Varg1(BIOLOGY),2(SCIENCE),3 & CTET PAPER 1,2(SCIENCE)-QUALIFIED

अस्वीकरण: सभी व्याख्यान उम्मीदवारों को सुविधा के लिए सरल शब्दों में सहायता के लिए प्रस्तुत किए गए हैं। किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते एवं अनुशंसा करते हैं कि आधिकारिक अध्ययन सामग्री से मिलान अवश्य करें।

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