डिप्टी कलेक्टर से बेरोजगार हुई निशा, भाजपा में जाना चाहती है
निशा बांगरे, भारत के उन सभी युवाओं के लिए एक केस स्टडी है, जो कड़ी मेहनत करके प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं और कोई सरकारी नौकरी हासिल करते हैं या फिर किसी भी दूसरी कैटिगरी में फेमस हो जाते हैं। उन्हें राजनीति करनी चाहिए या नहीं, निशा बांगरे की कहानी उनके प्रश्न का उत्तर हो सकती है। फिलहाल निशा बांगरे सीजन 2 का दूसरा एपिसोड सामने आ गया है। पत्रकार श्री मिथिलेश मिश्र और इरशाद हिंदुस्तानी से इंटरव्यू के दौरान निशा ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई है। इससे पहले मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी नौकरी वापस मांगी थी।
मध्य प्रदेश शासन और कांग्रेस ने मिलकर मेरा कॅरियर खराब कर दिया
विधानसभा चुनाव के लिए डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने के बाद बेरोजगार हुई निशा बांगरे ने कहा, ‘कांग्रेस ने मेरी नौकरी छुड़वाई, टिकट भी नहीं दिया। ये मेरे लिए एक धक्का है। मेरे परिवार को लगता है कि मेरे साथ धोखा हुआ है। मुझे भी लगता है कि कहीं न कहीं गलत तो हुआ है। अन्याय हुआ है। अगर समय पर इस्तीफा स्वीकार नहीं करना अन्याय है, तो यह भी एक तरह का अन्याय है। उन्होंने मेरा कॅरियर खराब किया है।’
चुनाव नहीं लड़ पाई इसलिए इस्तीफा रद्द करो
दरअसल, निशा बांगरे को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा चुनाव का टिकट देने का भरोसा दिया था। सरकार से अपना इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए निशा बांगरे ने आंदोलन भी किया और कोर्ट की लड़ाई भी लड़ी थी, लेकिन कांग्रेस ने आखिरी मौके पर मनोज मालवे को टिकट दे दिया। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट की उम्मीद थी लेकिन वह भी नहीं मिला। अब निशा बांगरे फिर नौकरी पर लौटना चाहती हैं। उनका कहना है की मुख्य सचिव ने इस्तीफा स्वीकार करने में देरी की इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ पाई। जिस काम के लिए इस्तीफा दिया था वह काम नहीं हो पाया इसलिए इस्तीफा रद्द करो और मेरी नौकरी वापस करो।
मायका और ससुराल दोनों का दबाव
इंटरव्यू में निशाने स्वीकार किया है उन्होंने दोनों परिवारों की तरफ से दबाव मिल रहा है। उन्होंने बताया, परिवार ने कहा कि चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, अब आपको नौकरी में वापस जाना चाहिए। ससुराल पक्ष-मायके पक्ष दोनों ने मुझ पर इसके लिए दबाव बनाया। उसके बाद मैंने 18 जनवरी को ही सेवा में वापस लौटने के लिए आवेदन किया। तब तक कांग्रेस पार्टी ने कोई जिम्मेदारी भी नहीं दी थी। हमारे प्रदेश अध्यक्ष बदले हुए तो उन्होंने कार्यकारिणी भी भंग कर दी थी। मेरे पास कोई दायित्व भी नहीं था। अब जाकर मुझे मीडिया सेल में जिम्मेदारी दी गई।
अब सब कुछ मुख्यमंत्री जी के हाथ में है
निशा का कहना है कि, अभी तक मेरे आवेदन पर सरकार का कोई जवाब नहीं मिला है। इस बीच कांग्रेस ने मुझे पार्टी का मुख्य प्रवक्ता बनाया। मैं उस जिम्मेदारी को अभी वहन नहीं कर पा रही थी, क्योंकि मैंने सरकार को आवेदन दे रखा था। अब सब कुछ मुख्यमंत्री जी के हाथ में है। वे मानवीय आधार पर मौका दे सकते हैं। फिलहाल मैं लोकसभा का भी चुनाव नहीं लड़ पा रही हूं। तो अब मुझे लगता है कि अगर समाज सेवा और राष्ट्र हित में काम करना है तो उस पद पर रहते हुए भी किया जा सकता है।
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