दिग्विजय सिंह ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर उठाए गंभीर सवाल, कहा- ‘संघीय ढांचे के लिए चुनौती’


हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) योजना को लेकर बड़ा बयान दिया है। इंदौर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने इस विचार पर गंभीर सवाल उठाए और इसे देश के संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ी चुनौती बताया। 

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के बयान पर भड़के MP के मुख्यमंत्री, कहा- साबित हो गया कि पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ा रही कांग्रेस

दिग्विजय सिंह ने कहा, “यह योजना तर्कसंगत नहीं है। हमारे देश में अक्सर राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें अपने पूरे कार्यकाल तक नहीं चल पातीं। ऐसे में, अगर सभी चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो राज्यों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है। क्या हर बार जब किसी राज्य की सरकार गिरेगी, तो पूरे देश में चुनाव कराए जाएंगे?” उन्होंने इस योजना के व्यावहारिक पहलुओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग समय पर राजनीतिक स्थितियां बदलती रहती हैं। “राज्य सरकारें अक्सर स्थानीय मुद्दों के आधार पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पातीं। अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो राज्यों के लिए अपनी स्थानीय प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देना मुश्किल हो जाएगा,” 

1998-1999 के लोकसभा चुनाव का हवाला

दिग्विजय सिंह ने 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय भी देश ने राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया था, जब बीच में ही चुनाव कराने पड़े थे। उन्होंने कहा, “अगर ऐसी स्थिति फिर से उत्पन्न होती है, तो राज्यों की सरकारों को भंग कर दोबारा चुनाव करवाने पड़ेंगे, जिससे देश में अस्थिरता और बढ़ सकती है।”

संघीय ढांचे पर असर

दिग्विजय सिंह ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, “यह देश के राज्यों की स्वायत्तता और अधिकारों पर प्रहार है। हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था संघीय ढांचे पर आधारित है, जहां राज्यों को अपने मुद्दों और प्राथमिकताओं के आधार पर चुनाव कराने का अधिकार है। इस तरह के निर्णय से राज्यों की स्वायत्तता कमजोर हो सकती है और केंद्र का हस्तक्षेप बढ़ सकता है।”

स्थानीय मुद्दों की अनदेखी का खतरा

सिंह ने इस योजना से जुड़ी एक और चुनौती का जिक्र करते हुए कहा कि अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव होंगे, तो राज्यों के स्थानीय मुद्दे पीछे छूट सकते हैं। “स्थानीय चुनावों में स्थानीय समस्याएं, जैसे कि किसानों के मुद्दे, क्षेत्रीय विकास, और कानून व्यवस्था के सवाल, अधिक महत्व पाते हैं। लेकिन अगर चुनाव एक साथ होंगे, तो ये मुद्दे राष्ट्रीय बहस में खो सकते हैं”।

असफलताओं को छिपाने की रणनीति?

हालांकि, दिग्विजय सिंह ने इस योजना को सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल की रणनीति करार नहीं दिया, लेकिन उन्होंने इशारों में यह जरूर कहा कि ऐसी योजनाएं कहीं न कहीं देश के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लाई जा रही हैं। “देश में कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन इस तरह की योजनाओं से उन मुद्दों को पीछे धकेला जा सकता है,” सिंह ने कहा।

विपक्ष का भी है विरोध

दिग्विजय सिंह ने बताया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ योजना का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाली किसी भी योजना का विरोध करें। दिग्विजय सिंह के इस बयान से यह स्पष्ट है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर राजनीतिक गलियारों में गंभीर बहस छिड़ गई है। जहां एक ओर केंद्र सरकार इसे चुनाव प्रक्रिया को सुगम बनाने के प्रयास के रूप में देख रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या स्थिति बनती है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *