इस सिविल अस्पताल में सुविधाओं का अभाव, मरीजों की जेब पर बढ़ा बोझ, आज भी ठप हैं सुविधाएं


सतीश दुबे, डबरा। डबरा सिविल अस्पताल में रोगी कल्याण समिति की बैठक को छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार आज तक नहीं दिखा है। इस बैठक में मरीजों के पर्चे बनाने की फीस 5 रुपय से बढ़ाकर 10 रुपय कर दी गई थी, जिससे मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बड़ा है। बावजूद इसके, अस्पताल में वादा की गई सुविधाएं अभी तक बहाल नहीं की जा सकी हैं। क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक सुरेश राजे ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से यह बैठक हुई थी, उसका लाभ जनता को आज तक नहीं मिल पाया है।

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बता दें कि छह महीने पहले इस बैठक में 12 बिंदुओं पर चर्चा की गई थी, जिसमें अस्पताल की रंगाई-पुताई, बंद पड़े एक्स-रे की सुविधा को बहाल करना, पानी के लिए वाटर कूलर लगाना और अल्ट्रासाउंड मशीन शुरू करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के चलते ये सुविधाएं अभी भी ठप पड़ी हुई हैं।

प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए कई आदेश जारी किए हैं, लेकिन डबरा का सिविल अस्पताल अपनी लापरवाही के कारण हमेशा सुर्खियों में रहता है। अस्पताल की ओपीडी में 5 से 6 डॉक्टर मौजूद नहीं रहते, और रात के समय महिला डॉक्टर भी अनुपस्थित रहती हैं, जिससे प्रसूताओं को नर्सों के भरोसे रहना पड़ता है।

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कांग्रेस विधायक सुरेश राजे ने कहा कि सिर्फ आदेश जारी करने से कुछ नहीं होता, अधिकारियों में सुधार की जरूरत है। अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए पट्टियां तक उपलब्ध नहीं हैं, और अस्पताल में तैनात नर्सें महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करती हैं। विधायक ने बताया कि उन्होंने कई बार इस पर कार्रवाई के प्रयास किए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विधायक सुरेश राजे ने यह भी खुलासा किया कि हाल ही में एक प्रसूता के बच्चे की गिरने से मौत हो गई थी, लेकिन उस मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। लगभग ढाई लाख की आबादी वाले डबरा में सिर्फ एक सिविल अस्पताल है, जहां बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।

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