इंदौर सियागंज में 22 करोड़ की लागत से बन रहा व्यावसायिक परिसर, हुकुमचंद मिल की जमीन पर प्रस्तावित है 200 करोड़ की आवासीय योजना 


हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल वृत की अहम बैठक बुधवार को संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। यह बैठक संभागायुक्त कार्यालय में आयोजित की गई, जिसमें हाउसिंग बोर्ड के डिप्टी कमिश्नर , कार्यपालन यंत्री आनंद जैन, एम.एल. धाकसे सहित विभिन्न जिलों के अधिकारी मौजूद रहे।

सियागंज में बन रहा व्यावसायिक हब

बैठक में जानकारी दी गई कि इंदौर के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र सियागंज में करीब 22 करोड़ रुपये की लागत से एक व्यावसायिक परिसर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। यह परिसर शहर के व्यापारिक ढांचे को नई दिशा देगा।

हुकुमचंद मिल की जमीन पर प्रस्तावित है बड़ी आवासीय योजना

पुरानी हुकुमचंद मिल की 7 हेक्टेयर भूमि पर 200 करोड़ रुपये की लागत से एक आवासीय योजना प्रस्तावित है। इस योजना के लिए वास्तुविद की नियुक्ति भी कर दी गई है। योजना को पुनर्विकास के माध्यम से एक मॉडल रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।

पुनर्घनत्वीकरण योजना से बदलेगा शहर का चेहरा

बैठक में यह भी बताया गया कि 50 वर्ष से अधिक पुरानी एमआईजी कॉलोनी और वहां का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स अब पुनर्घनत्वीकरण के तहत नए रूप में नजर आएंगे। इस योजना में श्री वैष्णव पॉलिटेक्निक महाविद्यालय और आईटीआई संस्थान भी शामिल हैं। साथ ही नेहरू नगर को भी पुनर्विकास परियोजना में शामिल किया गया है।

अन्य जिलों में भी हो रहे विकास कार्य

  • अलीराजपुर में रेस्ट हाउस
  • झाबुआ में जनपद कार्यालय
  • धार में पीडब्ल्यूडी कार्यालय और डाक बंगला
  • मनावर में शासकीय कर्मचारियों के लिए आवास
  • बड़वानी में इंद्रजीत छात्रावास
  • खरगोन में लोक निर्माण कार्य
  • कसरावद में पुराना तहसील कार्यालय का उपयोग

संभागायुक्त के निर्देश: पर्यावरण और सुविधाएं रहें प्राथमिकता

संभागायुक्त दीपक सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नई आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं में पर्यावरणीय नियमों का कड़ाई से पालन हो। उन्होंने कहा कि सभी इमारतों की छत पर सोलर पैनल अनिवार्य रूप से लगें। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था हो। सभी इमारतों की तल मंजिल केवल पार्किंग के लिए उपयोग की जाए। शासकीय कर्मचारियों के लिए हर जिले में सिविल लाइन क्षेत्र विकसित किया जाए, जिसके लिए 10 से 20 हेक्टेयर भूमि आरक्षित रखी जाए। 

बदलेगी संस्थानों की कार्यक्षमता

दीपक सिंह ने कहा कि पुनर्घनत्वीकरण योजनाओं से न केवल परिसरों की सूरत बदलेगी बल्कि शैक्षणिक और तकनीकी संस्थानों की कार्यक्षमता में भी इजाफा होगा। पुरानी और जर्जर हो चुकी संरचनाओं का पुनर्निर्माण अब आवश्यक हो गया है ताकि आम नागरिकों को आधुनिक सुविधाएं मिल सकें।

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