BNSS-229, ऐसे अपराध जिसमें आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होना अनिवार्य नहीं, जानिए
BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 228 में बताया गया है कि मजिस्ट्रेट किसी आरोपी को समन मामले में छूट दे सकता है, जब कोई परिस्थितियों (Circumstances) के कारण वह नहीं आ सकता है। ऐसी Court में उसकी ओर से उसका Lawyer, मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करता है लेकिन कुछ अपराध ऐसे भी होते हैं जिसमें आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है। जानते हैं वह कौनसे अपराध हैं जब व्यक्ति समन का जबाब सिर्फ डाक (Post) या संदेशवाहक (Messenger) द्वारा दे सकता है।
BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 229 की परिभाषा
“छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन (Special summons is cases of petty offence) – जब कोई ऐसा जो छोटे अपराध (Petty crimes) की श्रेणी में आते हैं अर्थात ऐसा अपराध जिसका जुर्माना एक हजार रुपए से अधिक नहीं है या वह अपराध जो Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita की धारा 359 के अंतर्गत समझौता (Agreement) योग्य होते हैं। ऐसे अपराधों में आरोपी की मजिस्ट्रेट से समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
वह चाहे तो अपने Advocate के माध्यम से अभिवचन (pleading) दे सकता है या जो जुर्माना लगाया गया है उसकी राशि Court को डाक या संदेशवाहक (courier) द्वारा भेज सकता है। यह धारा शमनीय (mitigating) एवं छोटे अपराधों में आरोपी को court के समक्ष उपस्थित पर छूट देती है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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