मध्य प्रदेश में 70000 अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त, हजारों को वेतन तक नहीं दिया
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अतिथि शिक्षकों का अनुबंध पूरे 1 साल के लिए होगा। इसके बावजूद लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक श्री डीएस कुशवाह ने मध्य प्रदेश के लगभग 70000 अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी। इतना ही नहीं, हजारों अतिथि शिक्षकों को उनके काम के बदले वेतन तक नहीं दिया।
इस बार तो सेवा समाप्ति के विधिवत आदेश भी जारी नहीं किया
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पार्टी ने नहीं मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, अनुबंध 1 साल का होगा
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों का सम्मेलन बुलाकर कहा था कि, अतिथि शिक्षकों का निबंध पूरे 1 साल का होगा और नियमितीकरण के लिए पात्रता परीक्षा होने तक एक अतिथि शिक्षक के स्थान पर दूसरे अतिथि शिक्षक को नियुक्त नहीं किया जाएगा। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि, यह घोषणा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने की थी। किसी पार्टी की चुनावी घोषणा नहीं थी। मंत्री की सभी घोषणाएं रिकॉर्ड पर मौजूद हैं। शासन की जिम्मेदारी है कि वह मुख्यमंत्री की घोषणाओं का पालन करें, कोई भी अधिकारी यह नहीं कह सकता कि उसे अलग से आदेश की आवश्यकता है।
हजारों अतिथि शिक्षकों को वेतन तक नहीं दिया
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लोक शिक्षण संचालनालय ने इस बार एक नया अत्याचार किया है। हजारों अतिथि शिक्षकों से काम लिया गया वह नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित थे। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया और अतिथि शिक्षकों को निर्देशित भी किया गया, लेकिन उन्हें अब तक वेतन नहीं दिया गया। आज छिंदवाड़ा में एक महिला अतिथि शिक्षक के सब्र का बांध टूट गया। वह कलेक्टर से उम्मीद लेकर आई थी परंतु जब उम्मीद टूट गई तो भड़क उठी। वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के जून्नारदेव में अतिथि शिक्षकों को 10 महीने से वेतन नहीं मिला। महिला शिक्षक की व्यथा सुनिए।
वैसे एमपी में कर्मचारियों का उत्पीड़न नयी बात नहीं है। pic.twitter.com/cLEngYahj3— Piyush Babele||पीयूष बबेले (@BabelePiyush) April 29, 2024
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चुनावी साल में कोई ऐसा करता है क्या
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मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों के साथ जो कुछ भी हुआ वह अप्रत्याशित है। विधानसभा चुनाव से पहले वेतन में वृद्धि, 1 साल का अनुबंध, नियमित शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण, नियमितीकरण के लिए विशेष पात्रता परीक्षा जैसी घोषणाएं की गई और लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार ने वेतन तक नहीं दिया। मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री को दूर की बात पार्टी के किसी पदाधिकारी ने आश्वासन के दो शब्द तक नहीं बोले।
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